भोपाल। मध्यप्रदेश में मीसा बंदियों को एक बार फिर से पेंशन मिलना शुरु हो गई है. कमलनाथ सरकार का कहना है कि सरकार ने कभी मीसा बंदियों की पेशन बंद नहीं की थी. लेकिन पहले अपात्र लोग भी मीसाबंदी बनकर पेंशन लेते थे. जिसके लिए सभी मीसा बंदियों का सत्यापन कराया गया था. जिस-जिस जिले में सत्यापन हो चुका है वहा मीसा बंदियों को फिर से पेंशन मिलनी शुरु हो गई है.
कमलनाथ सरकार ने फिर शुरु की मीसा बंदियों की पेंशन
कमलनाथ सरकार ने मीसा बंदियों को पेंशन देने की शुरुआत फिर से कर दी है. सरकार का कहना है कि मीसाबंदियों की पेशन कभी बंद नहीं की गई, बल्कि उन्हें सत्यापन कराने के आदेश दिए गए थे. जिन जिलों में सत्यापन पूरा हो चुका है वहां पर पेंशन मिलना शुरु हो गई है.
पेंशन शुरू करने के साथ-साथ जितने समय तक मीसाबंदी पेंशन बंद रही है. उस समय तक का एरियस भी दिया जाएगा. प्रदेश में फिलहाल करीब दो हजार लोगों को मीसाबंदी पेंशन मिलना शुरू हो गई है. अभी जिन जिलों में वेरिफिकेशन की कार्रवाई चल रही है, उन जिलों में वेरिफिकेशन पूरा होने के बाद ही पेंशन शुरू की जाएगी.
मप्र कांग्रेस के प्रवक्ता दुर्गेश शर्मा का कहना है कि मप्र सरकार ने मीसा बंदियों की पेंशन पर रोक नहीं लगाई थी. सरकार ने आदेश जारी किया था कि मीसा बंदियों का सत्यापन कराया जाय. उन्होंने कहा कि लोग साठ साल तक नौकरी करने के बाद भी पेंशन लेने के लिए जीवित होने का प्रमाण पत्र देता है. इसी लिए मीसा बंदियों के सत्यापन में भी कोई बुराई नहीं होनी चाहिए. बीजेपी इस पर राजनीति कर रही थी कि वेरीफिकेशन क्यों किया जा रहा है. जो आपातकाल के समय बच्चे थे. वह भी मीसा बंदियों की पेंशन ले रहे थे. इन्हीं तरह की शिकायतों पर सरकार ने वेरिफिकेशन कराने का आदेश दिया गया था.