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कोरोना मरीजों की बढ़ती संख्या को देखते हुए प्रदेश में शुरू होगा डाउन ट्रांसफर सिस्टम

प्रदेश भर में कोरोना संक्रमण से हालत बिगड़ते जा रहे हैं, और एक्टिव मामलों की लगातार बढ़ रही संख्या के कारण अब कोविड-19 केयर सेंटर में बिस्तरों की कमी होने लगी है, जिसे देखते हुए अब स्वास्थ्य विभाग ने संसाधनों के उपयोग को लेकर नई प्लानिंग की है.

Bhopal News
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Published : Sep 13, 2020, 5:15 PM IST

भोपाल। मध्यप्रदेश में कोरोना वायरस संक्रमण से हालात दिनों दिन बिगड़ रहे हैं. मध्यप्रदेश स्वास्थ्य विभाग को इस बात का अंदाजा है कि अक्टूबर माह के अंत तक प्रदेश में कोरोना संक्रमितों की कुल संख्या करीब ढाई लाख से ज्यादा हो सकती है, वहीं एक्टिव केसों की संख्या भी 55 हजार के करीब हो सकती है, एक्टिव मामलों की लगातार बढ़ रही संख्या के कारण अब कोविड-19 बिस्तरों की कमी होने लगी है, जिसे देखते हुए अब स्वास्थ्य विभाग ने संसाधनों के उपयोग को लेकर नई रणनीति तैयार की है.

स्वास्थ्य विभाग के नए आदेश के मुताबिक कोरोना संक्रमित मरीज के स्वास्थ्य में सुधार होने पर डाउन ट्रांसफर सिस्टम लागू किया जाएगा. यानी कि यदि डेडिकेटेड कोविड अस्पताल में भर्ती किसी संक्रमित मरीज को 3 दिन से बुखार ना आया हो और बिना ऑक्सीजन सपोर्ट के बीते 4 दिनों से उसका ऑक्सीजन सैचुरेशन 95 फीसदी से ज्यादा हो तो उसे डेडिकेटेड कोविड हेल्थ सेंटर में ट्रांसफर किया जाएगा.

इसी तरह डेडिकेटेड कोविड हेल्थ सेंटर में भर्ती मरीज का तापमान बिना बुखार की दवा खाए सामान्य हो, उसे सांस लेने में कोई दिक्कत ना हो और ऑक्सीजन सपोर्ट की जरूरत ना हो तो ऐसे मरीजों को कोविड केयर सेंटर या होम आइसोलेशन में ट्रांसफर किया जा सकेगा. कोरोना संक्रमित होने के 10 दिन बाद और आखिरी के तीन दिनों में यदि संक्रमित को बुखार या कोरोना वायरस का कोई लक्षण ना दिखाई दे रहा हो तो उसे डिस्चार्ज किया जा सकेगा, जिसकी एंट्री सार्थक पोर्टल पर की जाएगी.

इस पूरी व्यवस्था में बिना लक्षण वाले संक्रमितों की निगरानी जिला कोविड कमांड और कंट्रोल सेंटर के डॉक्टरों द्वारा की जाएगी, डॉक्टर रोजाना वीडियो कॉल के जरिए मरीजों की जानकारी लेंगे और सार्थक लाइट एप से भी निगरानी की जाएगी.

बता दें कि स्वास्थ्य विभाग का अनुमान है कि प्रदेश में वर्तमान वृद्धि दर को देखते हुए 31 अक्टूबर तक कुल पॉजिटिव मरीजों की संख्या 2.6 लाख और एक्टिव मरीज 55,000 होना संभावित है, इसे देखते हुए भी अब इस तरह के निर्णय स्वास्थ विभाग की ओर से लिए जा रहे हैं.

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