भोपाल।मोदी सरकार इस वक्त आदिवासियों पर फोकस कर रही है तो ऐसे में भला सीएम शिवराज कैसे पीछे रह सकते हैं. कहने को तो मध्यप्रदेश में जी 20 देशों के प्रतिनिधि आए. लेकिन शिवराज सरकार ने आदिवासियों के बनाए जा रहे उत्पादों की खूब ब्रांडिंग की. मेहमानों को आदिवासियों द्वारा कोदो कुटकी, बाजरा, ज्वार के अलग-अलग तरह के व्यंजन रखे गए. मेहमानों को जो व्यंजन परोसे गए, वे भी आदिवासी बाहुल्य क्षेत्रों के ज्यादा रहे और उनको बनाने के लिए भी महिलाओं की टीम लाई गई. 20 देशों से आए लोगो ने भी जमकर इन व्यंजनों का आनंद लिया.
बाजरे की खिचड़ी, ज्वार रोटी :दो दिन चले आयोजन में खासतौर से बाजरे की खिचड़ी और साथ में आदिवासी व्यंजन परोसा गया. विदेशी मेहमानों को ज्वार, बाजरा के साथ बाजरे की खिचड़ी भी बहुत पसंद आई. विदेशियों को आदिवासी कला भी खूब पसंद आई और उन्होंने आदिवासी कला से जुड़ी चित्रकारी जिसे गोंड और भील बनाते हैं, उसकी खरीदारी भी की. आपको जानकर आश्चर्य होगा कि 4 बाय 4 की पेंटिंग 45 हजार से लेकर 70 हजार रुपए में खरीदी गई. आदिवासी उत्पादों की ब्रांडिंग के लिए लगाए गए स्टॉल मोदी सरकार की सोच के मुताबिक रहे. आदिवासियों के उत्पादों को बढ़ावा देने के लिए कुशाभाऊ ठाकरे बिल्डिंग के मैदान में कई स्टॉल लगाए गए. जिसमें मोटे अनाज से बने प्रोडक्ट्स के साथ आदिवासियों की बनाई चीजों पर पूरा फोकस रहा.
आदिवासियों के प्रॉडक्ट की सराहना :खासतौर से आदिवासियों द्वारा बनाए गए कप, प्लेट और अन्य मिट्टी के बर्तनों की उनको परिष्कृत कर अच्छे तरीके से ब्रांडिंग की गई. सूती साड़ी के लिए लगाए गए स्टॉल आकर्षण का केंद्र रहे. बताया गया कि चरखा और पुरानी तरीके से कैसे साड़ियां बनती थीं. उन मशीनों को भी लाया गया और सामने बताया गया कि कैसे हाथ और मशीन से साड़ी बनती है और इसकी कीमत इतनी क्यों बढ़ जाती है. विदेशी मेहमानों ने भी साड़ियों के साथ अन्य उत्पाद भी यहां से खरीदे. G 20 डेलीगेट्स ने भारत की जमकर तारीफ की. उन्होंने कहा कि भारत महत्वपूर्ण कार्य कर रहा है. कोविड महामारी, यूक्रेन संकट के समाधान में भारत की महत्वपूर्ण भूमिका रही है.