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Friday Mantras: मातृ शक्तियों का आह्वान ऐसे करें आज! ऐसे करें उच्चारण तो मिलेगा लाभ

शुक्रवार का दिन मातृ शक्तियों को समर्पित हैं. इन शक्तियों के आह्वान से कठिन मार्ग सुगम हो जाते हैं और सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है. आज कुछ ऐसे मंत्र जो देवियों को समर्पित हैं.

chant Mantras on Friday
मातृ शक्तियों का ऐसे करें आह्वान

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Published : Jul 9, 2021, 6:46 AM IST

Updated : Jul 9, 2021, 7:01 AM IST

भोपाल। हिन्दू धर्म में आस्था रखने वाले शुक्रवार को देवी के विभिन्न रूपों की पूजा करते हैं. इस दिन खासतौर पर माता लक्ष्मी और मां संतोषी की पूजा अर्चना की जाती है. आज हम आपको कुछ ऐसे मंत्र बताते हैं जिससे मातृ शक्ति के विभिन्न अवतारों की कृपा मिलती है.

देवी माहात्म्य (Devi Mahatmyam) के अतिरिक्त भी कुछ ऐसे मंत्र हैं जिनके उच्चारण मात्र से देवी कला प्राप्त होती है. चंडी पाठ (Chandi Path) या दुर्गा सप्तशती के नाम से भी जाना जाता है देवी माहात्म्य. मार्कण्डेय पुराण में इसका वर्णन है. जिसमें 700 श्लोक हैं और ये 13 अध्यायों में विभाजित है.

इनके अलावा भी मां दुर्गा, सरस्वती और मां लक्ष्मी को समर्पित कुछ मंत्र हैं.

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सभी प्रकार के भयनाश के लिए (To Eliminate Fear, Chant The Following Mantra )

'सर्व स्वरूपे सर्वेशे सर्वशक्ति समन्विते:। भयेभ्यस्त्राहि नो देवि, दुर्गे देवि नमोस्तुते

कैसे पढ़े इस मंत्र को (How To Pronounce Mantra)

Sarvaswarupe Sarveshe Sarvashakti Samanvite

Bhaye Bhyastraahi No Devi Durge Devi Namostute

अर्थ : देवी आप अनेक स्वरूप को धारण करती हैं, शरणागत की पीड़ा हरने वाली देवी हम पर प्रसन्न हों. संपूर्ण जगत माता प्रसन्न हों. विश्वेश्वरी! विश्व की रक्षा करो. देवी! तुम्ही चराचर जगत की अधिश्वरी हो.

सुख समृद्धि का लक्ष्मी मंत्र (Lakshmi Mantra for wealth and prosperity)

सर्व बाधाविनिर्मुक्तो धन धान्य सुतान्वितः
मनुष्यो मतप्रसादेन भविष्यति न संशय:

अर्थ : माता कहती हैं कि मनुष्य मेरे प्रसाद से सभी बाधाओं से मुक्त होगा तथा धन, धान्य एवं संतान से सम्पन्न होगा इसमें तनिक भी संदेह नहीं है.

कैसे पढ़े इस मंत्र को (How To Pronounce Mantra)

Sarvabadha vinirmukto dhan dhaanya sutaanvitaha
Manushyo mat prasaaden bhavishyati na sanshaya

मां सरस्वती

मां सरस्वती का मंत्र (Saraswati Vandana Shloka for gaining knowledge and wisdom)

या कुन्देन्दुतुषारहारधवला या शुभ्रवस्त्रावृता।

या वीणावरदण्डमण्डितकरा या श्वेतपद्मासना॥

या ब्रह्माच्युत शंकरप्रभृतिभिर्देवैः सदा वन्दिता।

सा मां पातु सरस्वती भगवती निःशेषजाड्यापहा॥1॥

अर्थ : जो विद्या की देवी भगवती सरस्वती कुन्द के फूल, चंद्रमा, हिमराशि और मोती के हार की तरह धवल वर्ण की हैं और जो श्वेत वस्त्र धारण करती हैं, जिनके हाथ में वीणा-दण्ड शोभायमान है, जिन्होंने श्वेत कमलों पर आसन ग्रहण किया है तथा ब्रह्मा, विष्णु एवं शंकर आदि देवताओं द्वारा जो सदा पूजित हैं, वही संपूर्ण जड़ता और अज्ञान को दूर कर देने वाली मां सरस्वती हमारी रक्षा करें.

कैसे पढ़े इस मंत्र को

Ya Kundendu Tushara Hara Dhavala, Ya Shubhra Vastravrita

Ya Veena Varadanda Manditakara, Ya Shveta Padmasana

Ya Brahmachyuta Shankara Prabhritibihi, Devaih Sada Pujita

Sa Mam Pattu Saraswati Bhagavatee Nihshesha Jadyapah

Last Updated : Jul 9, 2021, 7:01 AM IST

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