भोपाल। लव जिहाद को लेकर मध्य प्रदेश सरकार के धर्म स्वातंत्र्य अध्यादेश को आज मध्यप्रदेश के राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने मंजूरी दे दी है. मंत्री परिषद से अनुमोदन के बाद स्वीकृति के लिए अध्यादेश के मसौदे को उत्तर प्रदेश राजभवन भेजा गया था. जहां आज राज्यपाल ने स्वीकृति दे दी है.
धर्म स्वातंत्र्य अध्यादेश को मिली स्वीकृति
मध्यप्रदेश में लव जिहाद रोकने के लिए शिवराज सरकार ने धर्म स्वातंत्र्य अध्यादेश लाया था. शिवराज कैबिनेट से इस विधेयक को स्वीकृति मिलने के बाद अध्यादेश लाया गया था. मंत्री परिषद के अनुमोदन के बाद इस अध्यादेश के मसौदे को उत्तर प्रदेश राजभवन भेजा गया था, जहां आज राज्यपाल ने इसे स्वीकृति दे दी है. अब विधि विभाग के जरिए राजपत्र में अधिसूचना प्रकाशित कराई जाएगी और इसी के साथ यह कानून लागू हो जाएगा.
धर्म स्वातंत्र्य कानून में है यह प्रावधान
कानून में यह रहेंगे प्रावधान
- धर्मांतरण और बहला-फुसलाकर शादी करने पर गैर जमानती धाराओं के तहत अपराध दर्ज किया जाएगा. साथ ही 10 साल की सजा का प्रावधान होगा.
- धर्मांतरण कर शादी करने के 2 महीने पहले कलेक्टर को दोनों पक्षों की ओर से लिखित में आवेदन देना होगा.
- धर्मांतरण कर शादी करवाने वाले धर्मगुरुओं को भी सह आरोपी बनाया जाएगा और 5 साल की सजा का प्रावधान होगा.
- धर्मांतरण या विवाह कराने वाली संस्थाओं के खिलाफ भी की जाएगी सख्त कार्रवाई.
इसलिए पड़ी कानून की जरूरत
मध्यप्रदेश के अलग-अलग जिलों में लव जिहाद को लेकर कई मामले लगातार सामने आ रहे थे. इसके अलावा कई शिकायतें भी अलग-अलग थानों में इस तरह की दर्ज की जा रही थी. जिसके बाद मध्य प्रदेश सरकार ने ऐलान किया था कि लव जिहाद को रोकने के लिए मध्यप्रदेश में कड़ा कानून लाया जाएगा. कम से कम 10 साल की सजा का प्रावधान इस कानून में होगा. लिहाजा मुख्यमंत्री के निर्देशों पर इस कानून का पूरा मसौदा तैयार किया गया और कैबिनेट से मुहर लगने के बाद इस विधेयक को विधानसभा के पटल पर रखा जाना था, लेकिन कोविड-19 महामारी के चलते विधानसभा का शीतकालीन सत्र निरस्त कर दिया गया. जिसके बाद सरकार ने इसे लेकर अध्यादेश लाया और अब इस अध्यादेश को राज्यपाल ने भी स्वीकृति दे दी है. जिसके बाद धर्म स्वातंत्र्य अध्यादेश अब कानून बन गया है. माना जा रहा है कि अगले तीन-चार दिन प्रक्रिया पूरी होने के बाद यह कानून लागू कर दिया जाएगा.
कैबिनेट में मिली थी मंजूरी
29 दिसंबर को धर्म स्वातंत्र्य विधेयक 2020 को कैबिनेट की वर्चुअल बैठक में मंजूरी मिल थी. इस कानून के अनुसार किसी भी व्यक्ति द्वारा लालच देकर, धमकाकर, धर्म परितर्वन कराने को गैर कानूनी माना गया है. अध्यादेश के मुताबिक शादी या किसी अन्य कपटपूर्ण तरीके से किए गए धर्मांतरण के मामले में अधिकतम 10 साल की कैद और एक लाख रुपये तक के जुर्माने का प्रावधान किया गया है.
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बेटियों की सुरक्षा सर्वोपरि-सीएम
वहीं इस विधेयक की मंजूरी के बाद शिवराज सिंह ने कहा था कि हमारा पहला विधायक मध्यप्रदेश धर्म स्वातंत्र्य अध्यादेश 2020 है. कपट पूर्ण साधनों, लोभ लालच, भय, प्रलोभन या विवाह के माध्यम से धर्म परिवर्तन करना अपराध माना गया है. इस कानून में 10 वर्ष तक की कड़ा सजा का प्रावधान किया गया है. जो व्यक्ति इस में सहयोग करेंगे. उनको भी अपराधी बनाया गया है. विशेषकर बेटियों के साथ, क्योंकि उनकी सुरक्षा हमारे लिए सर्वोपरि है. इस वजह से यह अध्यादेश लाया गया है. यह अपराध संज्ञेय और गैर जमानती होगा बहुत कड़ा कानून हमने बनाया है.