भोपाल।26 दिसंबर 2020 को मध्य प्रदेश में शिवराज कैबिनेट कथित लव जिहाद के खिलाफ सख्त कानून को मंजूरी दे दी थी. कैबिनेट की वर्चुअल बैठक में मंजूरी मिल गई है, मंजूरी मिलने के बाद अध्यादेश को राज्यपाल के पास अनुमोदन के लिए भेजा गया था, जहां विधेयक को संशोधित बिंदुओं के साथ मंजूरी मिल गई थी. आज मध्य प्रदेश विधानसभा बजट सत्र के छठे दिन विधेयक को सदन में धर्म स्वातंत्र्य विधेयक पेश किया गया. जिसके बाद मध्य प्रदेश धर्म स्वातंत्र्य विधेयक कानून का रूप ले लेगा.
क्या है धर्म स्वातंत्र्य कानून ?
नए कानून के मुताबिक अब गैर जमानती धाराओं के तहत लिव जिहाद के मामलों में केस दर्ज किया जाएगा. साथ ही कम से कम 10 साल तक की सजा का प्रावधान है. वहीं एक लाख रुपए का जुर्मान भी है. लव जिहाद जैसे मामलों में सहयोग करने वालों को भी मुख्य आरोपी बनाया जाएगा. उन्हें अपराधी मानते हुए मुख्य आरोपी की तरह ही सजा होगी. वहीं शादी के लिए धर्मांतरण कराने वालों को भी सजा देने का प्रावधान भी इस कानून में है.
धर्म स्वातंत्र्य कानून में क्या ?
'मध्य प्रदेश धर्म स्वातंत्र्य कानून' में उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड के कानून की तर्ज पर ही सजा का प्रावधान किया गया है. बहला-फुसलाकर या फिर जबरन धर्मांतरण और विवाह करने पर 10 साल की सजा का प्रावधान है. इसके साथ ही धर्मांतरण या विवाह कराने वाली संस्थाओं और उन्हें वित्तीय सहायता देने वाली संस्थाओं के पंजीयन निरस्त होंगे.
क्या हैं कानून के प्रावधान ?
- बहला-फुसलाकर, धमकी देकर जबरदस्ती धर्मांतरण और विवाह पर 10 साल की सजा का प्रावधान होगा.
- इस प्रकार के धर्मांतरण या विवाह में सहयोग करने वाले सभी आरोपियों के खिलाफ मुख्य आरोपी की तरह ही न्यायिक कार्रवाई की जाएगी.
- धर्मांतरण और धर्मांतरण के पश्चात होने वाले विवाह के 1 माह पूर्व डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट को धर्मांतरण और विवाह करने और करवाने वाले दोनों पक्षों को लिखित में आवेदन प्रस्तुत करना होगा.
- बगैर आवेदन प्रस्तुत किए धर्मांतरण कराने वाले धर्मगुरु, काजी, मौलवी या पादरी को 5 साल तक की सजा का प्रावधान होगा.
- इस प्रकार के धर्मांतरण या विवाह कराने वाली संस्थाओं को डोनेशन देने वाली संस्थाएं या लेने वाली संस्थाओं का पंजीयन भी निरस्त होगा.
- धर्मांतरण और जबरन विवाह की शिकायत स्वयं पीड़ित, माता- पिता, परिजन या गार्जियन द्वारा की जा सकती है.
- जबरन धर्मांतरण या विवाह कराने वाली संस्थाओं का पंजीयन निरस्त किया जाएगा.
- संस्थाओं पर होगी कार्रवाई
- कानून के तहत इस तरह की गतिविधियों को संचालित करने वाली संस्थाओं को वित्तीय सहायता देने वाली संस्थाओं के खिलाफ भी कार्रवाई की जाएगी. बगैर आवेदन धर्मांतरण कराने वाले धर्मगुरुओं को भी 5 साल की सजा होगी.
कानून में क्या हैं शादी के नियम ?
- धर्मांतरण के बाद होने वाले विवाह से 2 महीने पहले जिला कलेक्टर कार्यालय में आवेदन करना होगा.
- कलेक्टर दोनों पक्षों और उनके परिजनों को नोटिस देकर तलब करेगा और उनसे लिखित बयान लिए जाएंगे, कि विवाह या धर्मांतरण जोर-जबरदस्ती से तो नहीं किया जा रहा है. इसके बाद ही कलेक्टर द्वारा अनुमति दी जाएगी.
- अगर बिना आवेदन प्रस्तुत किए, किसी काजी, मौलवी या पादरी द्वारा धर्म परिवर्तन और विवाह कराया जाता है, तो ऐसे लोगों के खिलाफ 5 साल की सजा का प्रावधान किया गया है.