भोपाल।मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव के लिए चुनाव आचार संहिता लगने से पहले राज्य सरकार को एक बार फिर बाजार से कर्ज लेने की जरूरत पड़ गई है. बाजार से कर्ज लेने के लिए वित्तीय संस्थाएं ऑक्शन में हिस्सा लेंगी. भारतीय रिजर्व बैंक के माध्यम से होने वाली ऑक्शन 13 सिंतबर को ओपन होगी. इसमें ये तय होगा कि किस वित्तीय संस्थाओं ने कम ब्याज दर पर कर्ज देना मंजूर किया है. मध्यप्रदेश सरकार उसी से कर्ज लेगी.ये मौजूदा वित्तीय वर्ष का तीसरा कर्ज होगा.
इस वित्तीय साल में 6 हजार करोड़ कर्ज :इस वित्तीय वर्ष में अब तक राज्य सरकार बाजार से 6 हजार करोड़ रुपए का कर्ज ले चुकी है. सरकार ने 31 मई को 2000 करोड़ और 14 जून को 4000 करोड़ का कर्ज लिया था. राज्य सरकार रिजर्व बैंक के मुम्बई कार्यालय के माध्यम से अपनी गवर्मेन्ट सिक्युरिटीज का विक्रय कर एक हजार करोड़ रुपयों का बाजार से कर्ज उठायेगी. इस कर्ज की अदायगी 2036 के बाद की जायेगी. एक साल में दो बार ब्याज का भुगतान किया जायेगा. राज्य सरकार पर कर्ज 3 लाख 31 हजार 651 करोड़ 7 लाख रुपये हो गया. चुनावी साल में गेमचेंजर मानी जानी वाली शिवराज सरकार की लाड़ली बहना योजना के लिए सरकार ने पांच साल के लिए 60 हजार करोड़ के बजट का प्रावधान किया है. पहले साल के 12 हजार करोड़ की राशि आवंटित की गई है.
हर साल 24 हजार करोड़ ब्याज :सरकार लाड़ली बहना योजना में वर्तमान में दी जाने वाली राशि एक हजार से बढ़ाकर तीन हजार करती है तो खजाने से 1 लाख 80 हजार करोड़ करोड़ रुपए खर्च होंगे. वहीं योजना के लिए पात्रता की उम्र 23 साल से घटाकर 21 साल करने के सरकार के फैसले के बाद योजना पर और खर्च होने वाले हैं. चुनावी साल में वोटरों को लुभाने के लिए सरकार जमकर मुफ्त की रेवड़ियां बांट रही है. रिजर्व बैंक की हाल में राज्यों को लेकर राज्यों की स्टेट फाइनेंसेज 2022-23 की रिपोर्ट में राज्यों पर बढ़ते कर्ज को लेकर चिंता जताई गई है. मध्यप्रदेश पर कर्ज इतना है कि सरकार हर साल केवल 24 हजार करोड़ का ब्याज भर रही है.