भोपाल।देश के महान राजनीतिज्ञ और पूर्व राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी हमारे बीच नहीं रहे. अपने राजनीतिक जीवन और राष्ट्रपति कार्यकाल में उन्होंने राजधानी भोपाल का दो बार दौरा किया. एक बार वह 2008 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की घोषणा पत्र समिति के अध्यक्ष होने के नाते विधानसभा चुनाव में कांग्रेस का घोषणा पत्र जारी करने आए थे. उस समय पूर्व केंद्रीय मंत्री सुरेश पचौरी मध्य प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष हुआ करते थे. वहीं उनकी दूसरी यात्रा जून 2013 में राजधानी भोपाल की थी. 6 जून 2013 को तत्कालीन राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी मध्यप्रदेश में स्थापित किए गए अटल बिहारी वाजपेयी हिंदी विश्वविद्यालय की आधारशिला रखने के लिए आए थे. इस कार्यक्रम में उन्होंने हिंदी में भाषण दिया था और अच्छी हिंदी ना बोल पाने के कारण भाषण के अंत में उन्होंने माफी भी मांगी थी. अपने भाषण में जहां उन्होंने मध्य प्रदेश सरकार को हिंदी विश्वविद्यालय स्थापित करने पर बधाई दी थी. वहीं उन्होंने कहा था कि यह विश्वविद्यालय अटल बिहारी वाजपेयी के उच्च आदर्शों पर चलेगा. उन्होंने देश की सामाजिक और सांस्कृतिक एकता के लिए हिंदी और क्षेत्रीय भाषाओं के प्रचार प्रसार को महत्व दिया था. वहीं उन्होंने चिंता भी जताई थी कि 13वीं शताब्दी में देश में ऐसे कई विश्वविद्यालय थे. जिन्होंने संस्कृतियों को जोड़ने का काम किया था और जिनका दुनिया भर में बोलबाला था, लेकिन आज दुनिया के 200 संस्थानों में भी हमारे यहां का एक भी संस्थान का नाम शामिल नहीं है.
क्षेत्रीय भाषा पर देते थे जोर
अटल बिहारी वाजपेयी हिंदी विश्वविद्यालय की आधारशिला रखने के कार्यक्रम को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा था कि मुझे अटल बिहारी हिंदी विश्वविद्यालय की आधारशिला रखने के लिए यहां आकर बहुत खुशी हो रही है. हिंदी माध्यम से शिक्षा की सुविधा प्रदान करने के लिए यह एक अच्छी पहल है. इस शिक्षा संस्थान की स्थापना के लिए में मध्य प्रदेश सरकार को बधाई देता हूं. उन्होंने कहा था कि विश्वविद्यालय का नाम पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी पर रखा गया है. वे एक वरिष्ठ राष्ट्रीय नेता, उत्कृष्ट सांसद, प्रखर विद्वान तथा प्रभावशाली चिंतक होने के साथ उनकी रचनाओं ने हिंदी भाषा को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. मुझे उम्मीद है कि यह विश्वविद्यालय उनकी महान परिकल्पना तथा उच्च आदर्शों पर चलेगा. उन्होंने कहा था कि हमें हिंदी तथा क्षेत्रीय भाषाओं को बढ़ावा देना चाहिए, हमारे राष्ट्र को जोड़ने में हिंदी का अहम योगदान है और यह भारत की सामाजिक तथा सांस्कृतिक एकता का प्रतीक है. विदेशों में कई विश्वविद्यालय इस भाषा को सिखाने का काम कर रहे हैं. हमें हिंदी में शिक्षा प्रदान करने वाली संस्थाओं को सहयोग देने की जरूरत है. मुझे उम्मीद है कि यह विश्वविद्यालय इस कार्य को पूरा करेगा. उन्होंने कहा था कि महिलाओं और बच्चों के प्रति बढ़ते अपराधों को देखते हुए उनकी हिफाजत के लिए कदम उठाना जरूरी है. समाज में हो रहे नैतिक पतन को भी रोकने की जरूरत है. हमारे विश्वविद्यालय को नैतिक चुनौतियों का सामना करने के लिए एक अभियान चलाना होगा.