भोपाल। शिवराज सरकार के मंत्रिमंडल गठन पर कई तरह के सवाल खड़े हो रहे हैं. एक तरफ बीजेपी के वरिष्ठ और अनुभवी नेताओं को स्थान नहीं मिलने से नाराजगी देखने मिल रही है तो दूसरी तरफ सिंधिया के लिए बगावत करने वाले 22 लोगों में से सिर्फ दो को मंत्री बनाए जाने पर सवाल खड़े हो रहे हैं. इसके अलावा ग्वालियर चंबल संभाग के किसी भी सिंधिया समर्थक को मंत्री नहीं बनाए जाने पर सवाल खड़े हो रहे हैं क्योंकि जिन विधायकों ने सिंधिया का साथ दिया है, उनमें से 16 विधायक ग्वालियर चंबल संभाग के हैं, लेकिन इनमें से एक को भी मंत्री नहीं बनाया गया है.
मंत्रिमंडल पर पूर्व मंत्री का तंज 'शिवराज-ज्योतिरादित्य सिंधिया ने की ग्वालियर-चंबल की अनदेखी'
कमलनाथ सरकार में मंत्री रहे विधायक पीसी शर्मा का कहना है कि शिवराज और ज्योतिरादित्य सिंधिया ने मिलकर ग्वालियर चंबल संभाग की अनदेखी की है, यहां के किसी भी नेता को मंत्री नहीं बनाया गया है. पूर्व मंत्री और विधायक पीसी शर्मा का कहना है कि जब कोरोना से लड़ाई चल रही है, तो मंत्रिमंडल विस्तार की कोई आवश्यकता नहीं थी.
पीसी शर्मा ने पूछा 20 का क्या दोष था
पीसी शर्मा ने कहा कि इन 5 लोगों को मंत्रिमंडल में शामिल करना था, तो 23 मार्च को ही मंत्री बनाना था. जब शिवराज सिंह ने मुख्यमंत्री की शपथ ली थी. पीसी शर्मा ने कहा कि जब लॉकडाउन के 10-12 दिन बचे हैं, तब मंत्रिमंडल विस्तार कर लेते. अगर बनाना ही था, तो 5 की जगह 25 लोगों को बना लेते, बेचारे जो 22 लोग कांग्रेस छोड़ कर गए थे, तो उनमें 20 लोगों का क्या दोष था.
शिवराज सरकार के मंत्रिमंडल विस्तार पर पूर्व मंत्री ने खड़े किए सवाल, '22 लोगों में से 20 का किया गया अपमान'
पीसी शर्मा ने कहा कति उन 20 लोगों और राम बाई जैसे विधायकों को भी मंत्री बनाना था, चाहे शिवराज सिंह हों या ज्योतिरादित्य सिंधिया इन्होनें मिलकर ग्वालियर चंबल की अनदेखी की है. पीसी शर्मा ने कहा कि सिंधिया खेमे से जो दो मंत्री बने हैं, एक सागर के हैं और एक इंदौर के हैं. जहां उपचुनाव होना है वह अधिकतर सीटें ग्वालियर चंबल संभाग की हैं. यह एक तरह से 22 लोगों में से 20 का अपमान है, उनको तवज्जो नहीं दी गई है.पीसी शर्मा ने कहा कि इससे साफ समझ आ गया है कि महत्वपूर्ण कौन हैं. मैं समझता हूं कि 20 मार्च पहले कमलनाथ और दिग्विजय सिंह कहते थे, वह परिलक्षित हो रहा है, जो बड़ा खेल और लेनदेन हुआ है, उसी की यह परिणीति है.