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ई-टेंडरिंग घोटाला:EOW की जांच में पूर्व मुख्य सचिव वीपी सिंह बने गवाह

ई-टेंडरिंग घोटाले में चल रही EOW की जांच में प्रदेश के पूर्व मुख्य सचिव वीपी सिंह को भी गवाह बनाया गया है.

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EOW की जांच में पूर्व मुख्य सचिव वीपी सिंह बने गवाह

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Published : Feb 25, 2020, 8:33 AM IST

भोपाल|शिवराज सरकार के कार्यकाल के दौरान बहुचर्चित ई-टेंडरिंग घोटाले में EOW ने अदालत के सामने कुछ दिन पहले ही पूरक चालान पेश किया है. इस मामले में प्रदेश के पूर्व मुख्य सचिव वीपी सिंह को भी गवाह बनाया गया है. इसके अलावा प्रदेश के प्रमुख सचिव मनीष रस्तोगी, पूर्व प्रमुख सचिव एवं वर्तमान में कोल इंडिया लिमिटेड के CMD प्रमोद अग्रवाल समेत 86 लोगों को गवाह बनाया गया है .

पूर्व मुख्य सचिव वीपी सिंह बने गवाह

सोराठिया पर116 करोड़ के टेंडर फर्जी तरीके से लेने का आरोप

ई-टेंडरिंग घोटाले को लेकर EOW लगातार जांच कर रही है.जिसमें कई बड़े खुलासे हो चुके हैं. इसके अलावा कई बड़े रसूखदार भी अब तक इस मामले में पकड़े जा चुके हैं. ई-टेंडरिंग मामले में EOW ने गुजरात की कंपनी सोराठिया वेल्जी रत्ना एंड कंपनी के पार्टनर हरेश सोराठिया के खिलाफ चालान पेश किया है. क्योंकि हरेश सोराठिया के ऊपर लोक निर्माण विभाग, जल संसाधन विकास विभाग के करीब 116 करोड़ रुपए के टेंडर फर्जी तरीके से लेने का आरोप है. फिलहाल आरोपी हरेश सोराठिया फरार चल रहा है. जिसकी तलाश की जा रही है. इससे पहले हरेश सोराठिया ने अदालत में अग्रिम जमानत के लिए भी आवेदन दिया था, जिसे अदालत ने खारिज कर दिया था .

टेंडर जमा होने के बाद किया गया है परिवर्तन

राजधानी के श्यामला हिल्स इलाके में जजों के लिए आवास का निर्माण लोक निर्माण विभाग के माध्यम से होना था. इसकी लागत लगभग 15 करोड़ रुपए थी, इसके लिए टेंडर 22 जनवरी 2018 को जारी किए गए थे. 19 फरवरी 2018 को ये टेंडर सोराठिया वेल्जी रत्ना एंड कंपनी को दे दिया गया था. हरेश सिरोठिया ने अधिकारियों और सर्विस प्रोवाइडर कंपनी एंट्रेंस सिस्टम लिमिटेड से मिलीभगत कर ई-पोर्टल के माध्यम से राशि में फर्जी तरीके से परिवर्तन कर लिया था. EOW ने हार्ड डिस्क की जांच भारतीय कंप्यूटर आपदा प्रतिक्रिया बल नई दिल्ली से कराई थी. सर्ट-ईन लैब ने अपनी रिपोर्ट में माना है कि टेंडर जमा होने के बाद इसके तथ्यों से छेड़छाड़ कर परिवर्तन किया गया है. इस मामले में EOW ऑस्मो साल्यूशन के डायरेक्टर आरोपित दिनेश चौधरी और वरुण चतुर्वेदी के खिलाफ पहले ही केस दर्ज कर चालान पेश कर चुकी है.

कई कंपनियों की दर ऑनलाइन देख लेते थे डायरेक्टर

EOW की जांच में पता चला है कि इन प्राइवेट कंपनियों के डायरेक्टर जारी टेंडर की एक फीसदी राशि कमीशन के तौर पर ठेकेदारों से लेते थे. इस राशि को लेकर वो टेंडर में शामिल होने वाली कई कंपनियों की दर ऑनलाइन देख लेते थे. इसके बाद जिस ठेकेदार से सौदा होता था वो उसके द्वारा जमा किए टेंडर की राशि को दूसरी कंपनियों की राशि से कम कर देते थे. जिस वजह से कम दर वाले ठेकेदारों को ठेका मिल जाता था. ऑस्मो साल्यूशन आईटी और एंट्रेंस सिस्टम लिमिटेड कंपनी मप्र राज्य इलेक्ट्रॉनिक डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन के लिए ई-टेंडर की सर्विस प्रोवाइडर कंपनी के तौर पर काम कर रही थी. इन्हीं के जरिए प्रदेश के लोक निर्माण विभाग, जल संसाधन विभाग समेत कई विभागों की ऑनलाइन टेंडरिंग प्रक्रिया होती थी.

जांच के घेरे में प्रदेश के कई अधिकारी-कंपनी

EOW की ओर से पेश किए गए चालान के मुताबिक इस मामले में मनीष खरे नामक व्यक्ति को गिरफ्तार किया था. ये सर्विस कंपनियों और निर्माण कंपनियों के ठेकेदारों के बीच दलाली का काम करता था. खरे को 28 मई को गिरफ्तार किया गया था. सर्विस प्रोवाइडर कंपनियों ने सोराठिया वेल्जी रत्ना एंड कंपनी के पार्टनर हरेश सोराठिया से अन्य मनीष खरे के जरिए तीन करोड़ 33 लाख रूपए की राशि ई-टेंडरिंग में फर्जीवाड़ा करने के लिए ली थी.आरोपित हरेश ने मनीष को कमीशन की राशि चेक के माध्यम से दी थी. हरेश ने मनीष को सात चेक के माध्यम से करीब तीन करोड़ 33 लाख रूपए दिए थे. EOW के जांच के घेरे में अब भी प्रदेश के कई बड़े अधिकारियों से लेकर देश की कई बड़ी निर्माण कंपनियां हैं. जांच के बाद जल्द ही इनके खिलाफ चालान पेश किया जाएगा .

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