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एमपी में लागू नहीं होने दूंगा किसान विरोधी काला कानून,ये किसानों के हित पर कुठाराघात: कमलनाथ - KamalNath

पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने केंद्र सरकार पर कोरोना महामारी का फायदा उठाकर किसान विरोधी तीन काले कानून असंवैधानिक तरीके से पास करने का आरोप लगाया है. कमलनाथ का कहना है कि किसान विरोधी कानूनों को पास करते हुए केंद्र सरकार ने भारत के संघीय ढांचे को भी आघात पहुंचाया है.

Kamal Nath
कमलनाथ

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Published : Oct 8, 2020, 4:39 PM IST

भोपाल। पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ का आरोप है कि केंद्र सरकार ने कोरोना महामारी का फायदा उठाकर किसान विरोधी तीन काले कानून असंवैधानिक तरीके से पास किए हैं. इतना ही नहीं इन किसान विरोधी कानूनों को पास करते हुए केंद्र सरकार ने भारत के संघीय ढांचे को भी आघात पहुंचाया है. भारत के संविधान के अनुच्छेद 246 की सातवीं अनुसूची में कृषि और कृषि मंडी राज्य सरकार का अधिकार है. मगर चंद पूंजीपतियों को लाभ पहुंचाने के लिए राज्यों के अधिकारों का हनन करते हुए किसान विरोधी की निकालें कानूनों का क्रूर प्रहार किसानों पर किया गया है. कमलनाथ ने कहा है कि मैं दृढ़ संकल्पित हूं कि मध्य प्रदेश का मुख्यमंत्री बनने के बाद किसानों के हित में फैसला लूंगा, और इन तीनों कानून को मध्य प्रदेश में लागू नहीं होने दूंगा. साथ ही मंडी टैक्स को न्यूनतम स्तर पर लाया जाएगा, और मंडियों का दायरा बढ़ाया जाएगा.

कमलनाथ ने कहा कि केंद्र और मध्यप्रदेश की शिवराज सरकार इस कानून के जरिए पूंजीपति और कॉरपोरेट क्षेत्र को लाभ पहुंचाना चाहती है. इसलिए बिना किसानों के भविष्य की सोचे ताबड़तोड़ तरीके से प्रदेश में कानून को लागू कर दिया गया, लेकिन मैं बीजेपी को खुली चेतावनी देता हूं, कि वह किसानों के खिलाफ अमीरों से मिलकर जो साजिशें रच रही है. उसका कांग्रेस पार्टी पुरजोर विरोध करेगी. उन्होंने कहा कि संसद में जिस अलोकतांत्रिक ढंग से किसान विरोधी कानून पारित कराए गए हैं. वह बीजेपी की मंशा को स्पष्ट करते हैं कि वह सीधे-सीधे किसानों से फायदा छीनकर बड़े दो देना चाहती है. अपने आपको किसान का बेटा होने का दावा करने वाले शिवराज सिंह ने इस काले कानून को लागू कर यह बता दिया है कि किसान हितेषी होने का दावा झूठा है. मैं शिवराज सिंह को बताना चाहता हूं कि कांग्रेस सरकार आने के बाद सबसे पहले मेरा निर्णय होगा, कि मध्यप्रदेश में काला कानून लागू नहीं होने दूंगा.

कमलनाथ ने कहा कि केंद्र सरकार ने एक और नया कानून मूल्य आश्वासन पर किसान (बंदोबस्ती और सुरक्षा) समझौता और कृषि सेवा कानून 2020 पारित किया है. इसके जरिए कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग को कानूनी वैधता प्रदान की गई है. इससे बड़े बिजनेसमैन और कंपनियां कॉन्ट्रैक्ट पर जमीन लेकर खेती कर सकेंगे. कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग को बढ़ावा देने के लिए लाए गए तीसरे कानून को लेकर सरकार कहती है, कि इससे किसानों की आमदनी बढ़ेगी और उसके उत्पाद की बिक्री सुनिश्चित होगी. इस अध्यादेश की धारा 2 (एफ) से पता चलता है कि यह किसके लिए बना है. एफपीओ को किसान भी माना गया है और किसान और व्यापारी के बीच विवाद की स्थिति में बिचौलिया भी बना दिया गया है. उन्होंने आगे कहा इसमें विवाद की स्थिति उत्पन्न होने पर किसान ही भुगतेगा. इसमें आपसी विवाद सुलझाने के लिए 30 दिन के भीतर समझौता मंडल में जाना होगा. वहां न सुलझा तो धारा 13 के अनुसार एसडीएम के यहां मुकदमा करना होगा. एसडीएम के आदेश की अपील जिला अधिकारी के यहां होगी, और किसान को भुगतान करने का आदेश दिया जाएगा. उन्होंने कहा कि छोटी जोत के किसान के विवाद होने पर उनकी पूरी पूंजी वकील करने और मुकदमा लड़ने में चली जाएगी.

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