भोपाल। पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने केंद्र सरकार पर राष्ट्रीय सुरक्षा से समझौता करने का आरोप लगाया है. उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा जम्मू और कश्मीर में बिजली के स्मार्ट मीटर लगाने का ठेका चीन की कंपनी डोंग-फेंग को दिए जाने पर आपत्ति जताते हुए इसे राष्ट्रीय सुरक्षा के साथ खिलवाड़ बताया है. दिग्विजय सिंह ने केंद्र सरकार को राफेल सौदे की वास्तविकता को छुपाने पर और राष्ट्रीय सुरक्षा के साथ समझौता करने के मुद्दे पर भी प्रधानमंत्री से सवाल किए हैं.
पूर्व मुख्यमंत्री और राज्यसभा सांसद दिग्विजय सिंह ने कहा, 'यूपीए सरकार में 126 राफेल विमान के लिए फ्रांस से करार किया था. मोदी सरकार ने किन कारणों से 126 के बजाय 36 राफेल खरीदने का फैसला लिया. डॉ. मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार जिस राफेल विमान को 746 करोड़ रुपए में खरीद रही थी, उसे 1600 करोड़ रुपए में क्यों खरीदा गया, यह देश को नहीं बताया जाना प्रमाणित करता है कि सौदे में भ्रष्टाचार किया गया है और देश को धोखा दिया गया है.'
राफेल डील को लेकर खड़े किए सवाल
दिग्विजय सिंहर ने कहा, 'यूपीए सरकार ने फ्रांस में तैयार 18 राफेल को छोड़कर शेष राफेल भारत में हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एच ए एल) से ही बनाने का समझौता किया था. लेकिन मोदी सरकार ने सार्वजनिक अनुभवहीन कंपनी जिसने कभी विमान का एक पुर्जा तक नहीं बनाया, उससे 30 हजार करोड़ की डील किस प्रभाव में की गई, कौन-कौन से बिचौलिए इस डील में शामिल थे, उनके नाम सार्वजनिक किए जाने चाहिए.'
मीडिया पर भी साधा निशाना
दिग्विजय सिंह ने कहा, 'प्रजातंत्र में विपक्ष को प्रश्न पूछने का अधिकार है. भले ही मोदी जी की ट्रोल आर्मी और कठपुतली मीडिया एंकर विपक्ष के सवाल करने पर उन्हें राष्ट्रद्रोही भी कहें, वे सवाल पूछना बंद नहीं करेंगे. आज कांग्रेस पार्टी और विपक्ष का यह फर्ज है कि हजारों करोड़ रुपए के अतिरिक्त भुगतान कर दिए गए. राफेल सौदे पर मोदी सरकार से प्रश्न किए जाएं, देश की जनता को फ्रांस सरकार से की गई इस डील की सच्चाई जानने का हक है.'
दिग्विजय सिंह को भरोसा, भ्रष्टाचार से उठेगा पर्दा
दिग्विजय सिंह ने विश्वास व्यक्त करते हुए कहा, 'एक ना एक दिन राफेल सौदे में किए गए भ्रष्टाचार से पर्दा उठेगा. रक्षा मंत्रालय ने सौदे से संबंधित पेपर्स पब्लिक डोमेन में आने पर आंतरिक जांच के आदेश 2019 में दिए थे, उस जांच का क्या हुआ और कौन दोषी पाए गए?' दिग्विजय सिंह ने आरोप लगाया है, 'भारतीय सुरक्षा से जुड़े इस सौदे में हुए करोड़ों रुपए के भ्रष्टाचार को छुपाने के लिए केंद्र सरकार मामले की संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) से जांच कराने से घबरा रही है, जबकि कांग्रेस नेता राहुल गांधी लगातार इस घोटाले की जेपीसी जांच की मांग कर रहे हैं.'
'पीएम मोदी की कथनी और करनी में अंतर'
दिग्विजय सिंह ने कहा, 'प्रधानमंत्री ने सदैव दोहरे मापदंड अपनाए हैं. उनकी कथनी और करनी में समानता नहीं है, एक तरफ चीनी मोबाइल एप्स को बैन करने की बात करते हैं, वहीं दूसरी ओर जम्मू कश्मीर और लद्दाख जैसे संवेदनशील प्रदेशों में बिजली के स्मार्ट मीटर चीन की कंपनियों से लगाने के ठेके दे रहे हैं, क्या यह देश की सुरक्षा के हित में है?'