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शिवराज जी ऐसी क्या मजबूरी है कि सारा विष आप ही पी रहे हैं, विभाग बंटवारे पर प्रजापति का तंज

मध्यप्रदेश में मंत्रियों के विभागों का बंटवारा नहीं होने पर पूर्व विधानसभा अध्यक्ष एनपी प्रजापति ने शिवराज पर निशाना साधा है. उन्होंने कहा कि क्या मलाई वितरण के लिए आउटसोर्स विभीषण और उनके समर्थकों ने भाजपा की सदस्यता ली है.

Former assembly speaker targeted Shivraj in bhopal
मध्यप्रदेश विधानसभा के पूर्व अध्यक्ष एनपी प्रजापति

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Published : Jul 9, 2020, 1:20 PM IST

भोपाल। शिवराज मंत्रिमंडल विस्तार के 7 दिन बीत चुके हैं, लेकिन अभी तक मंत्रियों को विभाग आवंटित नहीं हुए हैं. बुधवार को मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि सारे विभाग मुख्यमंत्री में निहित होते हैं, मैं सारे विभागों का मंत्री हूं और सभी विभागों के काम सुचारू रूप से चल रहे हैं. मध्यप्रदेश विधानसभा के पूर्व अध्यक्ष एनपी प्रजापति ने कहा है कि जब सभी विभागों के मंत्री शिवराज सिंह चौहान हैं तो कैबिनेट की क्या जरूरत है. क्या मलाई वितरण के लिए आउटसोर्स विभीषण और उनके समर्थकों ने भाजपा की सदस्यता ली है. इतने लाचार तो आप कभी नहीं थे, ऐसी क्या मजबूरी है कि सारा विष आप ही पी रहे हैं.

एनपी प्रजापति ने मुख्यमंत्री के बयान को हास्यास्पद बताते हुए सवाल किया कि जब सभी विभागों के मंत्री आप हैं तो कैबिनेट की क्या जरूरत है. मंत्रिमंडल शपथ के बाद 7 दिन बीत गए हैं, लेकिन अभी भी माथापच्ची चालू है. कहीं खबर आती हैं कि विधानसभा की सदस्यता खोकर मंत्री बने लोगों को मलाइदार विभाग चाहिए तो कहीं शिव विष पी रहे हैं. क्या कथित विभीषण और उनके समर्थकों ने मलाई खाने के लिए ही भाजपा की सदस्यता ली थी या फिर जनता की सेवा करने के लिए.

एनपी प्रजापति ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह पर तंज कसते हुए कहा कि शिवराज सिंह इतने लाचार तो आप कभी नहीं थे, आखिर ऐसी क्या मजबूरी है कि सारा विष आप ही पी रहे हैं. अब तो आपके पार्टी के नेता भी खुलकर बोलने लगे हैं. क्या आपके साथ बिश्नोई और विजयवर्गीय भी विषपान कर रहे हैं. अजय विश्नोई ने तो कहा है कि हमारे नेता की बेइज्जती से कार्यकर्ता नाराज न हो जाएं, नुकसान हो जाएगा तो क्या आपकी पार्टी में शामिल हुए आपके मुताबिक आउटसोर्स विभीषण और उनके समर्थक अभी तक आपके पार्टी के नेता और कार्यकर्ता नहीं बने हैं.

पूर्व स्पीकर ने कहा है कि शिवराज आप सरकार के मुखिया हैं. कम से कम संवैधानिक नियमों का तो पालन करते. आपने अपने मंत्रिमंडल में आउटसोर्स विभीषण के दबाव के चलते असंवैधानिक तरीके से विधानसभा के सदस्यों की संख्या को दरकिनार करते हुए रेवडियों की तरह मंत्री पद बांट दिए हैं और विभागों के बंटवारे में उलझे हुए हैं.

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