भोपाल।मध्यप्रदेश शासन, संस्कृति विभाग, त्रिवेणी कला संग्रहालय, उज्जैन द्वारा श्रीकृष्ण से सम्बंधित आंचलिक लोकसंगीत और व्याख्यान केन्द्रित ‘ललित पर्व’ का प्रसारण सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर दूसरे दिन प्रस्तुतियों का आरम्भ मालवी लोकगीत ‘यशोदा थारो नटखट नन्द किशोर’ से हुई.
इसके बाद निमाड़ी लोकगीत ‘झूला पार लो नन्दलाल’, बुन्देली लोकगीत ‘माता देवकी ने जाये प्यारे ललना’ और बघेली लोकगीत ‘सखियां चलआ चलें दर्शन को ब्रज में झूल रहे गोपाल’ जैसे गीतों की प्रस्तुति हुई.
कृष्ण द्वारा गुरु सान्दीपनि से सीखी गई 64 कलाओं और 14 विद्याओं केन्द्रित चित्रप्रदर्शनी का प्रसारण हुआ,और अंत में प्रो. भगवत शरण शुक्ल, वाराणसी द्वारा मानवीय सभ्यता और श्रीकृष्ण आधारित ‘व्याख्यान’ प्रस्तुत किया गया. इस दौरान भगवत शरण शुक्ल ने कहा कि भगवान् श्रीकृष्ण ने सम्पूर्ण ब्रम्हांड के कल्याण की कामना से भारत भूमि पर अवतार लिया. श्रीकृष्ण का जन्म धर्म की स्थापना करने के लिए हुआ है. धर्म शब्द का मुख्य अर्थ यज्ञ है और यज्ञ भगवान विष्णु का साक्षात स्वरुप है.
वहीं आज श्रीकृष्ण द्वारा गुरु सान्दीपनि से सीखी गई 64 कलाओं और 14 विद्याओं केन्द्रित चित्रप्रदर्शनी और प्रदेश के मालवा, निमाड़, बुन्देलखण्ड, बघेलखण्ड और चम्बल अंचल में गाए जाने वाले श्रीकृष्ण से सम्बंधित पारम्परिक लोकगीतों के साथ ही कैलाशचन्द्र पन्त, द्वारा श्रीकृष्ण के समग्र व्यक्तित्व आधारित ‘व्याख्यान’ की प्रस्तुति होगी.