भोपाल। कोविड की दूसरी लहर के दौरान ब्लैक फंगस यानी म्यूकोरमायकोसिस का कहर बढ़ता जा रहा है. बीमारी के इलाज के लिए सरकार ने 13 मेडिकल कॉलेज पूरे प्रदेश में खोल रखे हैं. इसके अलावा भी प्राइवेट अस्पतालों और निजी क्लीनिक में लोग अपना इलाज करा रहे हैं. सरकार दावा कर रही है कि इंजेक्शन की आपूर्ति की जा रही है. लेकिन इलाज के अभाव में हो रही मौतों से साफ जाहिर होता है कि सरकार की तैयारियां नाकाफी है. अब तक भोपाल में यह 19 लोगों की जान ले चुका है.
इंजेक्शन एंफोटरइसिन B की आपूर्ति
रविवार को हमीदिया में ब्लैक फंगस का इलाज करा रहे 5 मरीजों की मौत हो गई. इससे पहले भी 2 मरीज इलाज के दौरान दम तोड़ चुके हैं. जानकारी के अनुसार हमीदिया के नाक कान और गला यूनिट के वार्ड 5 और 3 में 121 मरीज भर्ती हैं. इनमें से 7 लोग अब तक अपनी जान गवा चुके हैं. वही इंजेक्शन की किल्लत भी बरकरार है. ब्लैक फंगस के इलाज में कारगर इंजेक्शन एंफोटरइसिन B की आपूर्ति नहीं हो पा रही है.
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इंजेक्शन के नहीं होने पर लगाए गए स्टीकर
भोपाल के अलग-अलग अस्पतालों में 281 मरीज भर्ती हैं. जिन्हें इंजेक्शन नहीं मिल पा रहा है. हमीदिया में ही केवल 375 इंजेक्शन आ रहे हैं. जबकि यहां डिमांड साढ़े 400 इंजेक्शन से ज्यादा की है. इसी तरह अन्य अस्पतालों में इंजेक्शन नहीं पहुंच पा रहे हैं. इससे लोग इलाज के संकट से जूझ रहे रोज जीएमसी के डीन ऑफिस के सामने कतारें लग रही हैं. लोग सुबह से शाम तक खड़े रहते हैं अधिकारियों के हाथ जोड़ते हैं लेकिन उनकी सुनवाई नहीं हो रही है. अब तो आलम यह हो चला है कि प्रबंधन ने अपनी खिड़की के सामने स्टीकर चिपका दिए हैं. जिसमें सूचना दी गई है कि हमीदिया में इंजेक्शन नहीं बचे हैं. यहां से इंजेक्शन नहीं मिलेंगे, ऐसे में मरीज इलाज के अभाव में दम तोड़ रहे हैं. ब्लैक फंगस का प्रभाव बढ़ता जा रहा है.
121 भर्ती मरीजों में से 5 की मौत
कोविड मरीजों की मौत जानकारी के अनुसार हमीदिया के नाक-कान गला यूनिट जिसे सरकार ने जीएमसी के लिए ब्लैक फंगस यूनिट बनाया है. उसमें 121 मरीज भर्ती हैं, इनमें से 5 लोगों की मौत हो चुकी है. जोकि कोरोना से ठीक होकर आए थे. ब्लैक फंगस की चपेट में आने के बाद इनका इलाज यहां किया जा रहा था. जिन्होंने पिछले 24 घंटे में सर्जरी के दौरान दम तोड़ दिया है. मरीजों की संख्या लगातार बढ़ रही है. पहले वार्ड 5 को खोला गया था अब तीन नंबर को भी खोल दिया गया है.
अस्पताल में मरीजों का बढ़ रहा दबाव
मरीजों की संख्या के बढ़ने के कारण अस्पताल में और अतिरिक्त वार्ड खोले जा रहे हैं जहां मरीजों का इलाज किया जाएगा, समस्या सबसे बड़ी है कि हमीदिया के पास केवल दो ही ईएनटी सर्जन है, जिनके भरोसे मरीजों का इलाज चल रहा है. संख्या बढ़ने से उन पर लोड बढ़ रहा है और समय पर मरीजों को इलाज नहीं मिलने से उनकी मौतें हो रही हैं.
भोपाल के 10 अस्पतालों में भर्ती है मरीज
ब्लैक फंगस का असर तेजी से बढ़ रहा है. भोपाल सहित पूरे प्रदेश में मरीजों की तादाद बढ़ती जा रही है. राजधानी के हमीदिया अस्पताल में ही 121 मरीज इलाज करा रहे हैं. वही एम्स में 35 मरीज भर्ती हैं. आराधना अस्पताल में तीन, बंसल में 29, केयर वेल में चार ,जैनम श्री में 14, एलबीएस में तीन, नोबेल में चार, नर्मदा ट्रामा में तीन, आरकेडीएफ में दो ब्लैक फंगस के मरीज हैं. इसके अलावा ईएनटी सर्जन डॉक्टर एसपी दुबे अनुसार डेढ़ सौ से अधिक मरीजों की सर्जरी की जा चुकी है. ऐसे और भी कई अन्य मरीज हैं जो अलग-अलग अस्पतालों में अपना इलाज करा रहे हैं.
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तेजी से पैर पसार रहा ब्लैक फंगस
मध्यप्रदेश में ब्लैक फंगस के मरीज बढ़ रहे हैं. इनमें सबसे ज्यादा संख्या पोस्ट कोविड-19 मरीजों की है. भोपाल में 281 इंदौर में 189 जबलपुर में 101, उज्जैन में 62 और ग्वालियर में 37 मरीज सामने आ चुके हैं. प्रदेश के 29 जिलों में अब तक 841 मरीज ब्लैक फंगस का इलाज करा रहे हैं. भोपाल में ही लगभग 300 मरीज अलग-अलग अस्पतालों में भर्ती हैं अब तक 42 की मौत हो चुकी है.
इंजेक्शन की किल्लत बरकरार
NHM को भेजी गई रिपोर्ट के मुताबिक अब तक 2183 इंजेक्शन ब्लैक फंगस के इलाज के लिए मांगे गए हैं. लेकिन अभी तक सिर्फ 383 इंजेक्शन ही दिए गए हैं. जबकि भोपाल में ही 10 अस्पतालों में मरीजों की संख्या 218 हो चुकी है. इन्हें रोजाना 4 से 6 इंजेक्शन का डोज लगना है. लेकिन मांग के हिसाब से आपूर्ति नहीं हो पा रही है. राजधानी के अस्पतालों की बात की जाए तो हमीदिया में रोजाना 450 इंजेक्शन की आवश्यकता है लेकिन इसे केवल 375 इंजेक्शन ही मिले हैं.
इंजेक्शन की डिमांड के साथ बढ़ा मौत का ग्राफ
वहीं बंसल अस्पताल को अब तक मात्र 8 इंजेक्शन ही मिल पाए हैं. अन्य अस्पतालों एम्स आराधना केयर वेल जैनम श्री एलबीएस नोबेल नर्मदा ड्रामा आरकेडीएफ को एक भी इंजेक्शन नहीं मिल पाया है. जबकि एम्स 1500 इंजेक्शन की डिमांड की है. इंजेक्शन नहीं मिलने से मरीजों की हालत खराब हो रही है और परिजन सुबह से लेकर शाम तक इंजेक्शन मिलने की आस में हमीदिया के चक्कर लगा रहे हैं लेकिन उन्हें खाली हाथ लौटना पड़ता है.