भोपाल। देश भर में कोरोना महामारी का कहर जारी है. जून के महीने में मानसून की गतिविधियों के कारण मौसम में एक बड़ा बदलाव आता है. यह वह समय होता है, जब किसी दिन बहुत तेज गर्मी होती है तो दूसरे ही दिन बारिश और नमी के कारण तापमान में गिरावट दर्ज की जाती है. मौसम में होने वाले इस उतार-चढ़ाव के कारण लोगों के स्वास्थ्य पर इसका असर पड़ता है. खासकर जिनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होती है. उन्हें इस समय में आमतौर पर सर्दी, जुखाम, बुखार या वायरल फीवर जैसी स्वास्थ्य संबंधी शिकायतें होने लगती है. इसके साथ ही बारिश के मौसम में मलेरिया, डेंगू और स्वाइन फ्लू जैसी बीमारियां भी अपने चरम पर होती है.
कलेक्टर की अपील
इन हालातों से निपटने के लिए और कोरोना वायरस के संक्रमण को रोकने के लिए शहर में कई फीवर क्लीनिक बनाए गए हैं. जिला कलेक्टर ने लोगों से अपील की है कि यदि किसी भी व्यक्ति को सर्दी, बुखार, जुखाम या कोरोना वायरस जैसे लक्षण दिखाई देते हैं तो वह इन्हें छुपाए नहीं. जितना जल्दी हो सके अपने नजदीकी फीवर क्लीनिक में जाकर डॉक्टर से सलाह लें. फीवर क्लीनिक के जरिये अस्पताल परिसर में अलग से ऐसे मरीजों के लिए व्यवस्थाएं की गई हैं जिन्हें बुखार, सर्दी, जुखाम जैसी परेशानियां हो रही है. मरीजों के लिए अस्पताल के एक अलग गेट से स्क्रीनिंग के बाद प्रवेश दिया जाएगा.
फीवर क्लीनिक में ऐसे होगा इलाज
फीवर क्लीनिक में इलाज के लिए ओपीडी में सबसे पहले अपना रजिस्ट्रेशन कराना होगा. इसके बाद डॉक्टर मरीज की जांच करता है, और यदि डॉक्टर को उचित लगता है तो वह मरीज का कोरोना संक्रमण की जांच करा सकता है. इसकी व्यवस्था भी फीवर क्लीनिक में की गई है. डॉक्टर की जांच के बाद यदि मरीज को सामान्य लक्षण है तो उसे दवाई देकर उचित परामर्श दिया जाता है. फीवर क्लीनिक में आने वाले व्यक्ति अस्पताल परिसर के तय स्थान पर ही इस पूरी व्यवस्था के तहत अपना इलाज करा सकते हैं.
प्रदेश के सभी जिलों में होगा फीवर क्लीनिक
इन सब बीमारियों या छोटी मोटी स्वास्थ्य संबंधी शिकायतों के निराकरण के लिए डॉक्टर की सलाह से उचित इलाज और दवाइयां ली जा सकती है, लेकिन मौजूदा हालातों में जब कोरोना वायरस का संक्रमण दिनों दिन बढ़ता ही जा रहा है, ऐसे में बिना कोरोना वायरस टेस्ट के यह समझ पाना मुश्किल है कि किस व्यक्ति को सामान्य वायरल फीवर है या फिर किस व्यक्ति को कोरोना वायरस संक्रमण, क्योंकि कोरोना वायरस के शुरुआती लक्षण भी इसी तरह के होते हैं. ऐसे में सबसे बड़ी दिक्कत डॉक्टरों के लिए है कि अपने अस्पताल में आने वाले कोरोना वायरस के संदिग्ध मरीजों से बाकी मरीजों को संक्रमण होने से कैसे बचाएं. पर अब समस्या से निजात पाने के लिए स्वास्थ्य विभाग ने प्रदेश के हर जिले में फीवर क्लीनिक खोलने का निर्णय लिया है
कोरोना संक्रमण का जल्द चलेगा पता
कोरोना महामारी के बीच फीवर क्लीनिक इसीलिए खोले जा रहे हैं, ताकि यदि किसी व्यक्ति को कोरोना संक्रमण है तो उससे अस्पताल के अन्य स्टाफ या लोगों को यह संक्रमण न फैले, और एक निश्चित दायरे में ही मरीज का परीक्षण कर उसे उचित परामर्श या जरूरत के मुताबिक इलाज दिया जा सके. इसके साथ ही आने वाले समय में मौसम के बदलाव के कारण होने वाली मौसमी बीमारियों की भी रोकथाम की जा सके.