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महिला डॉक्टर ने की आत्महत्या, गैस पीड़ित संगठनों ने की उच्चस्तरीय जांच की मांग - mp laest news

भोपाल मेमोरियल अस्पताल की एक डॉक्टर ने फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली है. घटना की जानकारी लगते ही गैस संगठनों ने अस्पताल प्रबंधन पर प्रताड़ना का आरोप लगाते हुए उच्चस्तरीय जांच की मांग की है.

Female doctor commits suicide
महिला डॉक्टर ने की आत्महत्या

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Published : Apr 5, 2020, 6:21 PM IST

भोपाल|भोपाल मेमोरियल हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर में कार्यरत एक महिला डॉक्टर ने फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली. आत्महत्या के कारणों का खुलासा नहीं हो पाया है. बताया जा रहा है आत्महत्या के वक्त महिला डॉक्टर के कान में हेडफोन लगा हुआ था, जिससे माना जा रहा है कि घटना के वक्त वह किसी से बात कर रही होगी. पुलिस ने आत्महत्या का मामला दर्ज कर लिया है. साथ ही शव को पोस्टमार्टम के लिए हमीदिया अस्पताल भेज दिया है.

जानकारी के अनुसार अमृतसर पंजाब की रहने वाली 26 वर्षीय डॉक्टर रमनप्रीत कौर नेफ्रोलॉजिस्ट डॉक्टर थी और भोपाल मेमोरियल हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर में कार्यरत थी. महिला डॉक्टर ने हॉस्पिटल में ही बने हॉस्टल के रूम नंबर 25 में फांसी लगाई गई है. बताया जा रहा है कि महिला डॉक्टर जब रात में मेस में खाना खाने नहीं पहुंची, तो उनके साथियों ने रूम में जाकर दरवाजा खटखटाया, लेकिन काफी देर तक दरवाजा खटखटाने के बाद भी नहीं खोला तो उन्होंने खिड़की से देखा तो वह फंदे पर झूल रही थी. जिसके बाद उसके साथियों ने घटना की जानकारी तुरंत निशातपुरा पुलिस को दी. घटना की जानकारी लगते ही मौके पर पहुंची पुलिस ने शव को नीचे उतारा. वहीं घटना के बारे में पता लगते ही गैस पीड़ित संगठनों ने महिला डॉक्टर को प्रबंधन के द्वारा प्रताड़ित करने का आरोप लगाते हुए उच्च स्तरीय जांच की मांग की है.

गैस पीड़ित संगठन के लिए काम करने वाली सोशल वर्कर रचना ढींगरा का कहना है कि अस्पताल को 23 मार्च से कोविड-19 मरीजों के लिए आरक्षित कर दिया गया है. ऐसी स्थिति में किसी अन्य बीमारी से पीड़ित मरीज का इलाज यहां पर नहीं हो पा रहा है. जिसकी वजह से गैस पीड़ितों को भी काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है. यहां तक कि कई लोगों की मृत्यु भी हो चुकी है. इसके अलावा 2 दिन पहले ही प्रबंधन के द्वारा एक नोटिस जारी किया गया था, जिसमें साफ तौर पर बताया गया था कि सभी डॉक्टरों को कोविड-19 के मरीजों का ही इलाज करना होगा. जबकि यहां पर डॉक्टरों की सुरक्षा के लिए पीपीई किट्स भी मौजूद नहीं है. इस अस्पताल में अन्य तरह की बीमारियों से पीड़ित मरीजों का इलाज नहीं किया जा रहा है, जबकि भोपाल के अन्य अस्पतालों में ऐसा नहीं है. सिर्फ इसी अस्पताल में इस तरह का नियम लागू किया गया है. जिसकी वजह से गैस पीड़ितों को भी परेशानी उठाना पड़ रही है.

उन्होंने कहा कि जिस तरह का फरमान अस्पताल प्रबंधन के द्वारा जारी किया गया है उसकी वजह से यहां काम करने वाले डॉक्टरों के ऊपर मानसिक रूप से दबाव बना हुआ है. उन्होंने कहा कि इस पूरे मामले की जांच उच्च स्तरीय पर होनी चाहिए, ताकि महिला डॉक्टर ने आखिर किन कारणों की वजह से आत्महत्या की है इसका खुलासा हो सके .

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