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वित्त आयोग की बैठक में जनप्रतिनिधियों की बात सुन अधिकारियों के उड़े तोते - एमपी न्यूज

15वें वित्त आयोग की टीम ने अधिकारियों, उद्योगपतियों और जनप्रतिनिधियों से अलग-अलग बैठकें कर उनसे सुझाव मांगे. इस बैठक में एक जनप्रतिनिधी ने कुछ ऐसा बयान दिया जिससे बैठक में मौजूद अधिकारी हड़बड़ा गये.

15वां वित्त आयोग, मध्यप्रदेश

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Published : Jul 4, 2019, 12:00 AM IST

भोपाल। राजधानी भोपाल पहुंची 15वें वित्त आयोग की टीम ने अधिकारियों, उद्योगपतियों और जनप्रतिनिधियों से अलग-अलग बैठकें कर उनसे सुझाव मांगे. हालांकि, बैठक के पहले जनपद पंचायत के जनप्रतिनिधियों के साथ बैठक कर अधिकारियों ने उन्हें बताया की किन मुद्दों को आयोग के सामने रखना है, इसके बाद भी वित्त आयोग के साथ हुई बैठक में डिंडौरी के पंचायत सदस्य के बयान से अधिकारी सकपका गए, लेकिन मामला बिगड़ता इसके पहले ही अधिकारियों ने सफाई पेश कर बात को संभाल लिया.

केंद्रीय वित्त आयोग ने बैठक में जनप्रतिनिधियों से चर्चा के दौरान डिंडौरी जिला पंचायत के सदस्य ने कहा कि 75 फीसदी लोग टॉयलेट का उपयोग ही नहीं करते. सदस्य की बात सुन बैठक में मौजूद पंचायत विभाग के अधिकारी हड़बड़ा गए, उन्होंने तुरंत बात को संभालते हुए कहा कि पानी की कमी की वजह से कुछ स्थानों पर ऐसी स्थिति बनी है.

वित्त आयोग की बैठक में जनप्रतिनिधियों की बात सुन अधिकारियों के उड़े तोते

आयोग ने पूछा क्या राज्य के टैक्स स्ट्रक्चर से खुश हैं?
बैठक में वित्त आयोग ने जनप्रतिनिधियों से सवाल किया कि क्या वे राज्य के टैक्स स्ट्रक्चर से खुश हैं और क्या प्रॉपर्टी टैक्स रिवेन्यू और बढ़ा दी जानी चाहिए. हालांकि, इस सवाल पर जनप्रतिनिधियों ने कहा कि प्रॉपर्टी टैक्स रिवेन्यू बढ़ना चाहिए, लेकिन इसके लिए इंदौर जैसे टैक्स कलेक्शन सिस्टम विकसित करना होगा. आयोग ने इंदौर के सिस्टम की तारीफ करते हुए कहा की बाकी नगरीय निकाय ने प्रॉपर्टी टैक्स कलेक्शन की इंदौर जैसी व्यवस्था क्यों नहीं बनाई.

जनप्रतिनिधियों ने आयोग से की ये मांग
बैठक में शामिल हुई भोपाल की फंदा जनपद अध्यक्ष ममता यादव ने आयोग से ग्राम पंचायत में दी जाने वाली राशि को बढ़ाए जाने की मांग की. उन्होंने कहा कि हमसे स्मार्ट विलेज की बात करते हैं, लेकिन काम सिर्फ सीसी रोड का ही हो रहा है. दतिया जिला पंचायत अध्यक्ष रश्मि प्रजापति ने कहा कि प्रधानमंत्री आवास योजना की पात्रता की श्रेणी में नहीं आने वाले गरीबों को इस दायरे में लाया जाए. साथ ही परफॉरमेंस ग्रांट बढ़ाई जाए और जिला पंचायत अध्यक्ष को भी स्वेच्छा निधि जैसा फंड दिया जाए. हालांकि वित्त आयोग के साथ बैठक के लिए टाइम शेड्यूल तय किया गया था. बाद में ये गड़बड़ा गया. जनप्रतिनिधियों के साथ आयोग की बैठक काफी लंबे समय तक चलने की वजह से कई उद्योगपति बैठक शुरू होने के पहले ही चले गए.

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