भोपाल।कोरोना काल के दो साल बाद मध्यप्रदेश में बोर्ड की परीक्षाएं सामान्य रूप से स्कूलों में कराई गईं. इसको लेकर छात्रों में भी खासा उत्साह देखा गया और बड़ी संख्या में बच्चे परीक्षा देने पहुंचे थे । दसवीं और बारहवीं के छात्रों ने वैक्सीन भी लगवाई और एग्जाम भी दिया. लेकिन अब इनको रिजल्ट का डर सताने लगा है. रिजल्ट कैसा आएगा और उनका कितना प्रतिशत बनेगा. इसको लेकर छात्रों की चिंता बढ़ गई है. दरअसल, पिछले 2 सालों में कोरोना के कारण परीक्षाएं ऑनलाइन हुई थीं. ऐसे में इस बार ऑफलाइन परीक्षाओं के बाद कॉपी भी ऑफलाइन तरीके से स्कूलों में ही चेक की गई हैं. इसके बाद से ही बच्चों के मन में रिजल्ट को लेकर डर है.
रिजल्ट को लेकर भयभीत हैं बच्चे :बच्चे किस प्रकार भयभीत हैं, इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि 10वीं और 12वीं के बच्चों के लिए शुरू की गई हेल्पलाइन सेवाओं में रोज बच्चों के प्रश्न इसी से जुड़े आ रहे हैं. माध्यमिक शिक्षा मंडल के कैंपस में ही बच्चों की काउंसलिंग के लिए इस तरह की व्यवस्था की गई है. यहां रोजाना 100 से 300 कॉल बच्चों के आते हैं, जिसमें हर 100 में से 80 बच्चों का यही प्रश्न होता है कि रिजल्ट कब आएगा, जबकि 25 से 30 बच्चे ऐसे होते हैं, जिन्हें फेल होने का डर भी सताता है. बच्चों की काउंसलिंग करने वाली संगीता बताती हैं कि अधिकतर बच्चे रिजल्ट कब आएगा, इसको लेकर प्रश्न करते हैं. कई बच्चों के मन में यही शंका होती है कि वह इस बार पास भी हो पाएंगे या नहीं. क्योंकि पिछले दो सीजन ऑनलाइन परीक्षाओं के गुजरे थे.