भोपाल। मध्य प्रदेश के अन्नदाता के हक पर जमा खोर डाका डाल रहे हैं. हालात ये हैं कि सरकार के तमाम दावों के बाद भी प्रदेश में यूरिया की किल्लत बनी हुई है. कई जिलों के किसान यूरिया के लिए भटक रहे हैं. करीब 8 जिलों के कलेक्टर ने 19 हजार टन से ज्यादा यूरिया की मांग की है. हालांकि यूरिया को लेकर जो स्थिति बनी है उसके पीछे की वजह यूरिया की कालाबाजारी है. नरसिंहपुर जिले में ही 22 ऐसे लोगों को 919 मैट्रिक टन यूरिया का विक्रय कर दिया गया, जो किसान ही नहीं थे. हालांकि अब मुख्यमंत्री ने ऐसे लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई के निर्देश दिए हैं.
पिछले साल से ज्यादा बांटा, फिर भी कमी
मध्य प्रदेश में पिछले साल के मुकाबले 1.34 लाख टन ज्यादा यूरिया बांटा जा चुका है, लेकिन इसके बाद भी प्रदेश में यूरिया की कमी बनी हुई है. प्रदेश के सतना, बालाघाट, विदिशा, बैतूल, जबलपुर, दमोह, नरसिंहपुर जिलों के कलेक्टरों ने 19000 टन और यूरिया मांगा है. देखा जाए तो इन जिलों में ही यूरिया की कालाबाजारी की खबरें सबसे ज्यादा सामने आई है. नरसिंहपुर जिले में यूरिया के नाम पर हुई धांधली ने सीएम के भी होश उड़ा दिए. यहां 900 मेट्रिक टन यूरिया के घालमेल ने प्रदेश के दूसरे जिलों में चल रही कालाबाजारी की हकीकत बयां कर दी.
जांच के घेरे में एक हजार से ज्यादा लोग
कालाबाजारी की खबरों के बाद जागे अधिकारियों ने 2,410 प्राथमिक कृषि सहकारी संस्थाओं के निरीक्षण किए, जिनमें कई गड़बड़ियां सामने आईं. इनमें 26 एफआईआर दर्ज की गई और 105 लाइसेंस निलंबित किए गए. वहीं 55 लाइसेंस निरस्त किए गए हैं. सरकार सभी जिलों में यूरिया के टॉप 20 खरीदारों की जांच करा रही है, जिन्होंने ज्यादा मात्रा में खाद्य उठाया है. इस तरह प्रदेश में 53 जिलों के 1000 से ज्यादा लोग जांच के घेरे में हैं.