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तुम मुझे यूं भुला न पाओगे: भोपाल की आब-ओ-हवा में आज भी तैरते हैं मोहम्मद रफी के गीत, आप भी सुनिए - भोपाल की आब-ओ-हवा में आज भी तैरते हैं मोहम्मद रफी के गीत

'ओ दूर के मुसाफिर...हमको भी साथ ले ले...हम रह गए अकेले' 'ट्रेजडी किंग' दिलीप कुमार अभिनीत फिल्म 'उड़न खटोला' (1955) का ये दर्दभरा गाना मोहम्मद रफी की रह-रहकर उनके फैंस को याद दिलाता रहता है. 24 दिसंबर को पार्श्व गायक मोहम्मद रफी की जयंती (97th birth anniversary of best singer Mohammad Rafi) है. इस मौके पर फैंस उन्हीं के गीतों को गुनगुना कर उन्हें याद कर रहे हैं.

Mohammed Rafi 97th birth anniversary
भोपाल में मोहम्मद रफी के बेटे शाहिद रफी का स्वागत करते आरके शर्मा

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Published : Dec 24, 2021, 10:40 AM IST

Updated : Dec 24, 2021, 11:25 AM IST

भोपाल। मोहम्मद रफी के दीवाने सिर्फ बुजुर्ग ही नहीं युवा भी हैं. भोपाल में कई ऐसे युवा हैं, जो पिछले कई सालों से मोहम्मद रफी के गीत गुनगुना रहे हैं. जिस अकादमी में वह प्रैक्टिस करते हैं, उस अकादमी में मोहम्मद रफी के बेटे शाहिद रफी भी कई बार जा चुके हैं. इन सभी ने अपनी भावनाओं को रफी साहब की जयंती (97th birth anniversary of best singer Mohammad Rafi) पर शेयर किया है.

भोपाल की आब-ओ-हवा में आज भी तैरते हैं मोहम्मद रफी के गीत

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6 बार रविंद्र जैन संगीत अकादमी में आ चुके हैं शाहिद

न फनकार तुझसा तेरे बाद आया मोहम्मद रफी तू बहुत याद आया. ये गीत मोहम्मद रफी के लिए ही गाया गया है, उनकी जयंती पर हर कोई उन्हें नमन कर रहा है. मोहम्मद रफी तो नहीं हैं, लेकिन उनके बेटे शाहिद रफी का भोपाल से गहरा नाता रहा है. रफी के बेटे शाहिद रफी (shahid rafi son of Mohammad Rafi) 6 बार भोपाल के संगीत अकादमी (Shahid has come to Ravindra Jain Sangeet Academy bhopal) में विजिट कर चुके हैं. रविंद्र जैन संगीत अकादमी के नाम से मशहूर इस अकादमी में युवा रफी के गीतों पर ही सुरताल के साथ अपनी आवाज का जादू बिखेर रहे हैं.

तुम मुझे यूं भुला न पाओगे

जूनियर मोहम्मद रफी के नाम से जानते हैं दोस्त

18 साल के अमन बताते हैं कि वह पिछले कई सालों से रफी के गीत गा रहे हैं. 5 साल की उम्र से ही उन्हें संगीत से लगाव हो गया था और तब से ही अपने पिता के मार्ग दर्शन में उन्होंने गाना सीखा. उसके बाद अकादमी में संगीत सीख कर रफी के हिट गाने गुनगुनाए. वहीं यश बताते हैं कि उन्हें वैसे तो हर गायक पसंद है, लेकिन रफी साहब का लहजा और उनके गीत गाने का तरीका उन्हें बेहद पसंद है, इसलिए उन्होंने रफी को चुना है. आज भोपाल में इनके दोस्त उन्हें जूनियर मोहम्मद रफी के नाम से ही जानते हैं.

भोपाल में मोहम्मद रफी के बेटे शाहिद रफी के साथ आरके शर्मा

रफी के परिवार में कोई नहीं जानता था संगीत

संगीत अकादमी के आरके शर्मा बताते हैं शाहिद रफी जब भी भोपाल आते हैं तो मोहम्मद रफी की यादें ताजा हो जाती हैं. शर्मा के अनुसार शाहिद खुद भी पिता के समान ही सीधे और सरल हैं और सभी से प्रेम-भाव से मिलते हैं. मोहम्मद रफी साहब का जन्म 24 दिसम्बर 1924 को अमृतसर, पंजाब में हुआ था. पहले रफी साहब का परिवार पाकिस्तान में रहता था, बाद में जब रफी छोटे थे तब इनका पूरा परिवार लाहौर से अमृतसर आ गया. उस समय इनके परिवार में कोई भी संगीत के बारे में नहीं जानता था.

भोपाल में मोहम्मद रफी के बेटे शाहिद रफी

...तब बड़े भाई ने रफी को उस्ताद से मिलवाया

रफी जब छोटे थे तब इनके बड़े भाई की नाई की दुकान थी. इनके बड़े भाई मोहम्मद हामिद ने इनके संगीत के प्रति रूचि को देखते हुए रफी को उस्ताद अब्दुल वाहिद खान के पास ले गए और संगीत की शिक्षा लेने का सुझाव दिया. रफी ने पहला गाना 13 साल की उम्र में सार्वजनिक प्रदर्शन में गाया था. उनके गायन ने श्याम सुंदर जोकि उस समय के फेमस संगीतकार थे काफी प्रभावित हुए और इसी महफिल में रफी को गाने का निमंत्रण दिया था.

Last Updated : Dec 24, 2021, 11:25 AM IST

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