भोपाल। मध्यप्रदेश में कांग्रेस को लगा 'पलायनवादी' रोग निरंतर बढ़ता जा रहा है, पहले इसी रोग के चलते राज्य की कमलनाथ सरकार गिरी और अब कई क्षेत्रों में पार्टी का जनाधार ही संकट में आने लगा है. राज्य में कांग्रेस के लिए बीता कुछ समय अच्छा नहीं कहा जा सकता, क्योंकि डेढ़ दशक बाद कांग्रेस राज्य की सत्ता में आई थी तो वहीं उसकी सत्ता का जीवनकाल महज 15 माह ही रहा. पहले पार्टी के 24 विधायकों ने ज्योतिरादित्य सिंधिया के नेतृत्व में एक साथ सदस्यता छोड़ी और उसके बाद विधायकों का पार्टी छोड़कर जाने का क्रम चला.
कांग्रेस का जनाधार हो रहा खत्म
राज्य की सत्ता में हुए बदलाव के बाद 28 स्थानों पर जब उपचुनाव हुए तो भाजपा 19 स्थानों पर जीती और कांग्रेस महज 9 स्थानों पर ही जीत अर्जित कर सकी थी. उसके बाद दमोह से विधायक रहे राहुल लोधी ने पार्टी छोड़ी मगर इस चुनाव में कांग्रेस को जीत मिली. अब कांग्रेस के एक और विधायक बड़वाह से सचिन बिरला ने पार्टी का दामन छोड़ दिया है. विधायक बिरला ने पार्टी तब छोड़ी है जब तीन विधानसभा क्षेत्रों और एक लोकसभा क्षेत्र में उप चुनाव हो रहे हैं. इसके बड़े मायने निकाले जा रहे हैं.
खंडवा संसदीय क्षेत्र में है विधायक बिरला का विधानसभा क्षेत्र
विधायक सचिन बिरला का विधानसभा क्षेत्र बड़वाह, खंडवा संसदीय क्षेत्र में आता है. बिरला का इस क्षेत्र में अच्छा खासा जनाधार है, इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि जब उन्होंने पार्टी से बगावत कर वर्ष 2013 में विधानसभा का चुनाव लड़ा था, तब उन्हें 60 हजार से ज्यादा वोट मिले थे और वर्ष 2018 के विधानसभा चुनाव में उन्हें बतौर कांग्रेस उम्मीदवार जीत मिली थी. वहीं भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष विष्णु दत्त शर्मा ने कांग्रेस विधायक के भाजपा में आने को लेकर पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह पर तंज कसा, क्योंकि दिग्विजय सिंह जिस दिन खंडवा संसदीय क्षेत्र के दौर पर पहुंचे उसी दिन यह दल बदल हुआ है. उन्होंने कहा कि दिग्विजय सिंह और कमलनाथ ने कांग्रेस का अस्तित्व ही समाप्त कर दिया है. जिस समय दिग्विजय सिंह हमारे नेताओं के लिए अपशब्दों का प्रयोग कर रहे थे उस समय उनके विधायक बड़वाह में भाजपा में शामिल हो रहे थे. उन्होंने कहा कि प्रदेश में कमलनाथ और दिग्विजय सिंह सिर्फ अपने बेटों को जमाने में लगे हुए हैं, उन्हें कांग्रेस पार्टी से कोई लेना-देना नहीं है.
कांग्रेस के विधायक सचिन बिरला के पार्टी छोड़ने को लेकर तमाम नेता इसे सौदेबाजी करार दे रहे हैं. पूर्व मुख्यमंत्री कमल नाथ ने कहा, भाजपा को संभावित परिणामों का अंदेशा हो चला है. उनका जनाधार खत्म हो चुका है, जनता अब उनको एक पल भी सत्ता में देखना नहीं चाहती है तो अब अपनी सरकार व खोये जनाधार को बचाने के लिये भाजपा एक बार फिर सौदेबाजी कर प्रदेश की राजनीति को कलंकित करने में व लोकतंत्र में जनता को मिले वोट के अधिकार का अपमान करने में लगी है.
इनपुट - आईएएनएस