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यादों में हरिवंश राय बच्चन, हिंदी साहित्य के अमिट हस्ताक्षर

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Published : Jan 18, 2021, 9:32 PM IST

हिंदी साहित्य के महत्वपूर्ण हस्ताक्षर डॉ. हरिवंशराय बच्चन की पुण्यतिथि के अवसर पर प्रदर्शनी का आयोजन किया गया. भोपाल दुष्यंत कुमार पांडुलिपि संग्रहालय में ये आयोजन किया गया.

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प्रदर्शनी का आयोजन

भोपाल। हिंदी साहित्य के महत्वपूर्ण हस्ताक्षर और अभिनेता अमिताभ बच्चन के पिता डॉ. हरिवंशराय बच्चन की पुण्यतिथि पर सोमवार को एक प्रदर्शनी का आयोजन किया गया. ये प्रदर्शनी राजधानी के दुष्यंत कुमार पांडुलिपि संग्रहालय में प्रदर्शित की गई, जहां डॉ. हरिवंश बच्चन के शो पत्र प्रदर्शित किए गए. इसके अलावा डॉ हरिवंश बच्चन के हाथ का छापा भी प्रदर्शित किया गया. हरिवंशराय बच्चन का निधन 18 जनवरी 2003 को हुआ था.

हरिवंशराय बच्चन की पुण्यतिथि पर प्रदर्शनी

हिंदी साहित्य में मधुशाला जैसी कालजई कई रचनाओं के रचयिता हरिवंशराय बच्चन की पुण्यतिथि पर भोपाल में प्रदर्शनी का आयोजन किया गया. उनके प्रशंसकों के लिए भोपाल दुष्यंत कुमार पांडुलिपि संग्रहालय में उनके हस्तलिखित पत्रों को प्रदर्शित किया गया. साथ में उनके हाथ का छापा भी उनके प्रशंसकों को प्रदर्शित किया गया.

भोपाल से बच्चन का गहरा नाता

दुष्यंत कुमार पांडुलिपि संग्रहालय की व्यवस्थापक संगीता राजुलकर ने बताया कि डॉ. हरिवंशराय बच्चन के पत्र जो संग्रहालय को प्राप्त हुए हैं, उन्हें उनके प्रशंसकों के लिए संग्रहालय में डिस्प्ले किया गया. डॉ. हरिवंश राय बच्चन का भोपाल से गहरा रिश्ता रहा है. अमिताभ बच्चन की ससुराल भी यही है.

उनके लिखे पत्र

प्रशंसकों को पत्रों का जवाब देते थे बच्चन

डॉ. हरिवंश राय बच्चन के व्यक्तित्व की खास बात यह थी कि वे अपने मित्रों और प्रशंसकों के पत्रों का जवाब देते थे. ऐसा कहा जाता है कि सबसे ज्यादा पत्र भी उन्होंने ही लिखे हैं. उन्हीं पत्रों में से 100 पत्र संग्रहालय को प्राप्त हुए हैं, जिसमें अमिताभ बच्चन के लेटर हेड पर डॉ. हरिवंशराय बच्चन और तेजी बच्चन के हस्ताक्षर युक्त शुभकामना पत्र भी प्राप्त हुआ है, जो कि डॉ. प्रेम शंकर रघुवंशी के जरिए संग्रहालय को प्राप्त हुए हैं.

संगीता राजूरकर ने बताया कि सदी के महानायक अमिताभ और जया बच्चन के विवाह का निमंत्रण पत्र भी संग्रहालय के डिस्प्ले में किया गया है.

डॉ. हरिवंशराय बच्चन के हाथ के छापे

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पद्म भूषण से किए गए थे अलंकृत

हरिवंश राय बच्चन करीब 15 साल अध्यापन करने के बाद कैंब्रिज विश्वविद्यालय शोध करने के लिए चले गए थे. वहां से आने के बाद उन्होंने हिंदी साहित्य के विकास के लिए बहुत काम किया. बच्चन जी को उनकी रचनाओं के लिए पद्म भूषण और नेहरू सम्मान से अलंकृत किया जा चुका है.

सरस्वती पुत्र बच्चन

आज भी उनका उनकी कर्मस्थली इलाहाबाद विश्वविद्याय में बड़ा सम्मान है. इलाहाबाद यूनिवर्सिटी के वरिष्ठ शिक्षक संस्कृत विभाग के विभागाध्यक्ष प्रोफेसर रामसेवक दुबे हरिवंश राय बच्चन को सरस्वती पुत्र बताते हैं. उनका कहना है कि हरिवंश राय बच्चन ऐसे विद्वान थे, जिन्होंने अपनी पढ़ाई और शोध अंग्रेजी में किया, जबकि उनकी सभी प्रमुख रचनाएं हिन्दी में ही हैं. विश्वविद्याय के छात्र और अध्यापक अपने पुरातन छात्र और अध्यापक हरिवंश राय बच्चन को याद करते हैं.

विरल कवि थे बच्चन

वरिष्ठ कवि एवं लेखक अरविंद चतुर्वेद बताते हैं कि हरिवंश राय बच्चन अद्भुत प्रतिभा के साथ उभर कर आते हैं. नरेंद्र शर्मा, डॉ. रामकुमार वर्मा और रामधारी सिंह दिनकर उनके समवर्ती कवि थे. इनमें हरिवंश राय बच्चन इस मायने में विरल कवि हैं कि उन्होंने काव्य भाषा में अलंकरणों का या कहा जाए सजावट के बोझ को उतारा.

विदेश से लौटकर यूनिवर्सिटी में ही रुके

वरिष्ठ साहित्यकार गोपाल चतुर्वेदी बताते हैं कि जब मैं इलाहाबाद से इंग्लिश में एमए कर रहा था. तब हरिवंश राय बच्चन पीएचडी करने कैंब्रिज यूनिवर्सिटी गए थे. यूनिवर्सिटी में बच्चन जी का नाम तो था ही, साथ में उनकी यादें भी थीं. बच्चन जी जब विदेश से लौटकर आए तो यूनिवर्सिटी में ही रुके. वहीं उन्होंने उमर खय्याम से प्रेरित होकर मधुशाला लिखी. कुछ समय बाद बच्चन जी वित्त मंत्रालय में ओएसडी बनकर चले गए. पंडित जवाहर लाल उनको बहुत अच्छी तरह जानते थे. बच्चन जी कवि के मामले में ऐसे प्रख्यात थे, जैसे आज अमिताभ बच्चन फिल्मों में प्रख्यात हैं.

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