भोपाल। पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के शासनकाल में हुए बहुचर्चित ई-टेंडरिंग मामले में पूर्व मुख्य सचिव को भी गवाह बनाया गया है, लेकिन इस मामले में अब ईओडब्ल्यू उन्हें बयान दर्ज करने के लिए नहीं बुलाएगी. ई टेंडरिंग घोटाले की जांच कर रही ईओडब्ल्यू ने तय किया है कि वह इस मामले में पूर्व मुख्य सचिव वीपी सिंह, कोल इंडिया के एमडी और पूर्व आईएएस प्रमोद अग्रवाल समेत प्रमुख सचिव मनीष रस्तोगी के बयान दर्ज नहीं करेगी .अब यह तीनों ही सीधे न्यायालय के समक्ष पेश होकर अपने बयान दर्ज करवाएंगे.
पूर्व मुख्य सचिव से EOW नहीं करेगी पूछताछ इनकी गवाही दिलाएगी सजा
माना जा रहा है कि इन तीनों की गवाही इस बड़े घोटाले में काफी अहम साबित होगी, क्योंकि इनकी गवाही से यह भी साफ हो सकेगा की इतना बड़ा ई टेंडरिंग घोटाला किस तरह से हुआ है और इस घोटाले को करने वाले आरोपी किस तरह से इसे अंजाम दे रहे थे. माना जा रहा है कि इनकी गवाही से आरोपियों को सजा मिल सकती है.
हरेश सोरठिया हैं फरार
ईओडब्ल्यू ने जिला अदालत में कुछ दिनों पहले ही ई-टेंडरिंग घोटाले में पूरक चालान पेश किया गया था. यह चालान गुजरात की कंपनी सोरठिया वेल्जी रत्ना एंड कंपनी के पार्टनर हरेश सोरठिया के खिलाफ पेश किया गया था. आरोपी हरेश सोरठिया पर लोक निर्माण विभाग, जल संसाधन विकास विभाग के करीब 116 करोड़ रुपए के टेंडर फर्जी तरीके से लेने का आरोप है. हालांकि इस मामले में आरोपी बनाए गए हरेश सोरठिया लगातार फरार चल रहे हैं. जिसकी तलाश लगातार की जा रही है.
ई टेंडरिंग घोटाले में सचिवों से मिलने के बाद वीपी सिंह ने इसे पूरी गंभीरता से लिया था और बिना किसी देरी के इस पूरे मामले की जांच ईओडब्ल्यू को सौंपा, साथ ही वे इस मामले को लेकर लगातार जानकारी भी लेते रहे. इसके अलावा कोल इंडिया के एमडी और पूर्व आईएएस प्रमोद अग्रवाल ई टेंडरिंग घोटाले के समय पीएचई के तत्कालीन प्रमुख सचिव हुआ करते थे और जैसे ही उन्हें इस ई-टेंडरिंग घोटाले की जानकारी मिली थी, उन्होंने तत्काल संदेह के घेरे में आने वाले सभी टेंडरों को बिना किसी देर के ही निरस्त कर दिया था. साथ ही उन्होंने तुरंत ही इस मामले की जानकारी तत्कालीन मुख्य सचिव वीपी सिंह को भी दी थी.
मनीष रस्तोगी ने किया था खुलासा
प्रमुख सचिव मनीष रस्तोगी की भूमिका इस ई टेंडरिंग में सबसे ज्यादा अहम है क्योंकि मनीष रस्तोगी के ने ही ई टेंडरिंग घोटाले को उजागर किया गया है. उस समय रस्तोगी राज्य इलेक्ट्रॉनिक्स विकास निगम में एमडी हुआ करते थे, हालांकि मनीष रस्तोगी को ई टेंडरिंग घोटाले को उजागर करने के कुछ महीने बाद ही इस पद से हटा दिया गया था, लेकिन ई- टेंडरिंग घोटाले की कई अहम जानकारियां रस्तोगी के संज्ञान में है.