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केंद्रीय सहकारी बैंक के एमडी सहित तीन गिरफ्तार, EOW ने की कार्रवाई - Infrastructure Leasing & Financial Services Limited

केंद्रीय सहकारी बैंक के एमडी समेत तीन अन्य लोगों को वित्तीय गड़बड़ी के आरोप में गिरफ्तार किया गया है. ये कार्रवाई EOW ने की है. आरोप है कि रिश्वत के लालच में बैंक के अफसरों ने डिफाल्टर कंपनियों में 111.29 करोड़ रुपए निवेश कर दिया था.

EOW arrested three others including MD of Cooperative Central Bank
EOW ने की बड़ी कार्रवाई

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Published : Dec 19, 2019, 12:32 PM IST

भोपाल| ईओडब्ल्यू ने भोपाल सहकारी केंद्रीय बैंक के एमडी सहित तीन अन्य लोगों को देर शाम गिरफ्तार किया है. मुंबई की डिफाल्टर कंपनी इंफ्रास्ट्रक्चर लीजिंग एंड फाइनेंशियल सर्विसेज लिमिटेड में भोपाल बैंक के अधिकारियों ने 111.29 करोड़ रुपए निवेश किए. जो कि डिफाल्डर कंपनी है. ईओडब्ल्यू ने तत्कालीन एमडी और उपायुक्त सहकारिता आरएस विश्वकर्मा, शाखा प्रबंधक सुभाष शर्मा और अनिल भार्गव को गिरफ्तार कर लिया है. सभी आरोपियों को न्यायालय में पेश किया जाएगा. बैंक में किसानों ने अपने पैसे जमा किए थे, लेकिन बैंक के अफसरों ने इन पैसों को डिफाल्टर कंपनी में निवेश कर दिया. इस कंपनी के खिलाफ ईडी पहले से ही मामला दर्ज कर जांच कर रही है.

EOW ने की बड़ी कार्रवाई

कमीशन के लालच में दिवालिया कंपनी में कर दिया निवेश

बता दें कि इन लोगों पर आरोप है कि, अधिकारियों ने किसानों, ग्राहकों और बैंक की जमा पूंजी को मिलकर खुर्दबुर्द किया और कमीशन के लालच में एक ऐसी कंपनी में निवेश कर दिया, जो दिवालिया हो गई. शासन ने ईओडब्ल्यू को जांच करने के निर्देश दिए थे. करीब 2 महीने की जांच के बाद केस दर्ज कर लिया गया है. बता दें कि इस जांच में सामने आया है कि, बैंक के अधिकारियों ने सोची समझी साजिश के तहत ये निवेश किया है.

इन सभी अधिकारियों की मिलीभगत ने वर्ष 2018 में ही नियमों को ताक पर रखकर स्मॉल स्केल बैंकों में भी 500 करोड़ रुपए निवेश किए हैं. फिलहाल इसकी भी जांच की जा रही है. इसमें भी कमीशन खोरी के चलते किसानों, अन्य कारपोरेशन और बैंक के ग्राहकों का पैसा जमा होना पाया गया है. एमडी और उपायुक्त विश्वकर्मा, सुभाष शर्मा शाखा प्रबंधक और आरएस सूद सीए ने डिफाल्टर कंपनी में 111.29 करोड़ रुपए निवेश किए थे. विश्वकर्मा ने ईओडब्ल्यू को बताया कि सेबी ने कंपनी को पांच सितारा रेटिंग दी थी और वह कंपनी 9.50 प्रतिशत ब्याज दे रही थी, इसीलिए पैसे का निवेश किया गया था.

बता दें कि, बैंक प्रबंधन खुद की गलती को छिपाने के लिए कंपनी और नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (एनसी एलटी) को पत्र लिख रहे हैं, कि पैसा वापस करवा दो. इस पर आईएल एंड एफएल कंपनी ने बताया कि मार्च 2020 के पहले 15 प्रतिशत पैसा लौटा दिया जाएगा. यह मामला एनसी-एलटी में विचाराधीन चल रहा है, जिसका अभी तक कोई फैसला नहीं हो पाया है.

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