Pesticides Bad Effects: पर्यावरणविद वंदना शिवा का सवाल... जमीन से निकलकर जुबान तक पहुंच रहा ये जहर कब रुकेगा - पेस्टीसाइड्स के अधाधुंध उपयोग खतरा
पेस्टीसाइड्स के अधाधुंध उपयोग से इंसान के लिए खतरा बढ़ने लगा है. जैविक खेती की ओर ज्यादा ध्यान नहीं दिया जा रहा या औसतन बहुत ही कम मात्रा में जैविक खेती की जा रही है.
पेस्टीसाइड्स का अधाधुंध उपयोग खतरा
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Published : Jul 27, 2023, 8:27 PM IST
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Updated : Jul 28, 2023, 12:20 PM IST
पेस्टीसाइड्स का अधाधुंध उपयोग खतरा
भोपाल। देश की जानी मानी पर्यावरणविद वंदना शिवा ने कहा है कि अगर पेस्टीसाइड्स का इस्तेमाल रोका नहीं गया तो ये ज़हर धरती के साथ इंसानों को मारना भी शुरु कर देगा. जिस भारत ने दुनिया को जैविक खेती सिखाई वही भारत आर्गेनिक खेती से दूर जा रहा है. बड़ी कंपनियों को फायदा देने से हो ये रहा है कि किसान की ज़िंदगी खतरे में पड़ गई है. जब तक पूरा का पूरा एग्रीकल्चर एस्टबलिशमेंट जैविक की तरफ नहीं बढ़ेगा ना किसान बचेंगे ना धरती. वंदना शिवा ने ETV Bharat से खास बातचीत की.
पौधे लगाने से ज्यादा जरुरी उन्हें बचाना है:पर्यावरणविद वंदना शिवा से सीएम शिवराज को लेकर सवाल था. सवाल ये कि क्या हर दिन एक पौधा लगाने से पर्यावरण बचाया जा सकता है. वंदना शिवा ने कहा कि मेरे पिताजी फारेस्ट में थे और वो कहते थे अगर पेड़ लगाने से पर्यावरण बचाया जा सकता है तो पूरे भारत में पेड़ ही पेड़ होते. असल में पौधा लगाना नहीं. पौधे को बचाना जरुरी है. ऐसा नहीं हो सकता कि एक तरफ आप पौधा लगाएं दूसरी तरफ आप जंगल उखाड़ फेंके.
पेस्टीसाइड... ये ज़हर कब रुकेगा:पर्यावरणविद वंदना शिवा ने खास तौर पर भोपाल का जिक्र करते हुए कहा कि भोपाल उस खेती के सिस्टम से जुड़ा हुआ है. जिसने इस धरती को बर्बाद कर दिया और लोगों को मार दिया. उन्होंने कहा कि मैं भोपाल कार्बाइड डिजास्टर को एक्सीडेंट नहीं मानती. उसमें जो तैयार हो रहा था वो पेस्टीसाइड लोगों को मारने के लिए ही बनाया गया था. जिस पेस्टीसाइड से खेती हो रही है उससे ही हमारे किसान कर्ज में डूब रहे हैं इसलिए घाटे का सौदा हो गई है खेती. वंदना शिवा ने सरकारों को कटघरे में खड़ा करते हुए कहा कि अपनी मिट्टी अपना बीज जरुरी है. पैस्टीसाइड्स पहले हमारी मिट्टी और फिर हमारे किसान को खत्म कर रहे हैं. ग्लोबलाइजेशन में किसान का दाम घटता जा रहा है. जरुरी ये है कि रासायनिक का खर्चा घटाकर उसमें जैविक का दम डाला जाए. पूरे के पूरे एग्रीकल्चर एस्बलिशमेंट जैविक की तरफ मोड़ने पड़ेंगे.
नदी का हक कब तक मारोगे:नदियों में बढ़ते अवैध उत्खनन पर वंदना शिवा ने कहा कि मैं तो उस भारत में पली हूं जब नदियां नदियां होती थीं. गंगा यमुना क्लीन बहती थी नदी का अपना हक होता था निर्मल अविरल बहने का. अब तो नदियां डंपिग ग्राउण्ड बन गई हैं. जहां भी देख रही हूं रेत निकाल कर हाइवे बन रहे हैं. कब तक नदियों का हक चोरी करेंगे. क्राकीट और सीमेंट का जो ऑब्सेशन है वो बर्बाद कर देगा. वंदना शिवा ने कहा कि भारत को अपने असल रास्ते पर लौटना पड़ेगा. भारत का असल रास्ता क्या है. असल रास्ता ये है कि हम धऱती की पूजा करते हैं. हर वक्त होश में रहना कि धरती के लिए हमारा फुंट प्रिंट क्या है. ये याद रखना कि हम एक वन सस्कृति है. हमने जंगलों से सीखी डैमोक्रेसी वहां पेड़ पौधे से ये नहीं कहता कि तू मर जा. हमें उस सोच को जीवन में उतारना होगा कि भारत कैसे जिंदा रहेगा. भारत के उस भाग को प्रोटेक्ट और रिस्पेक्ट करना होगा जहां भारत जल जंगल जमीन से जुड़ा है.