भोपाल। अपनी मांगों को लेकर झंडा बुलंद करने वाले कर्मचारी संगठन ही आपसी विवादों में उलझे हुए है. प्रदेश के 20 मान्यता प्राप्त कर्मचारी संगठनों में आधे से ज्यादा में विवाद चल रहे हैं. आपसी विवादों के चलते साढ़े तीन लाख कर्मचारियों का प्रतिनिधित्व करने वाली मध्यप्रदेश तृतीय वर्ग शासकीय कर्मचारी संघ की मान्यता को सरकार ने रद्द कर दिया है. वहीं पिछले दिनों ग्वालियर में मध्यप्रदेश राज्य कर्मचारी संघ के कार्यक्रम में कर्मचारी नेताओं में जमकर जूतमपैजार हुई है. घटना का वीडियो वायरल हो रहा है.
- प्रदेश के मान्यता प्राप्त आधे संगठनों में विवाद
मध्यप्रदेश में 20 मान्यता प्राप्त कर्मचारी संगठन है, लेकिन इनमें से करीब 9 कर्मचारी संगठनों में विवाद चल रहे हैं. राजपत्रित अधिकारी संघ में दो अध्यक्ष हैं. इस संगठन में इंजीनियर अशोक शर्मा और डीके यादव दोनों अध्यक्ष होने का दावा करते हैं. लिपिक वर्गीय शासकीय कर्मचारी संघ की है. इनमें राघवशरण मिश्रा, मनोज वाजपेयी और राकेश हजारी तीनों अध्यक्ष पद की दावेदारी करते हैं. डिप्लोमा इंजीनियर्स एसोसिएशन इंजीनियरों का एक मात्र मजबूत संगठन है, लेकिन इसमें लंबे समय से विवाद चल रहा है. इनमें एक गुट के अध्यक्ष राजेन्द्र सिंह भदौरिया और दूसरे गुट के देवेन्द्र सिंह भदौरिया हैं.
मध्यप्रदेश तृतीय वर्ग शासकीय कर्मचारी संघ, मध्यप्रदेश राज्य कर्मचारी संघ, वन कर्मचारी, मध्यप्रदेश अनुसूचित जाति, जनजाति पिछड़ा वर्ग अधिकारी कर्मचारी संगठन, पटवारी संघ में भी विवाद चल रहे हैं. इन संगठनों में एक से ज्यादा अध्यक्ष अपनी दावेदारी जता रहे हैं. वहीं कर्मचारी कांग्रेस के अध्यक्ष पद पद सेवानिवृत्त कर्मचारी काबिज है, जबकि सामान्य प्रशासन विभाग के आदेश के मुताबिक मान्यता प्राप्त कर्मचारी संगठनों के अध्यक्ष पद पर सेवानिवृत्त कर्मचारी नहीं रह सकते.
- राज्य कर्मचारी संघ के चुनाव में जमकर हुई मारपीट