भोपाल। मध्यप्रदेश में लगातार बिजली संकट गहराता (Electricity Crisis In Madhya Pradesh) जा रहा है, इस संकट पर पक्ष-विपक्ष दोनों तरफ से खूब बयानबाजी भी हो रही है, अब मुख्यमंत्री शिवराज सिंह (Shivraj Singh Chauhan) ने स्वीकार कर लिया है कि बिजली का संकट बांधों में पानी नहीं होने और कोयले की पूर्ति नहीं होने की वजह से गहराया है, जबकि हकीकत ये है कि कोल कंपनियों को पुराना बकाया बिजली कंपनियों से लेना है, जिसके चलते कंपनियों ने कोयले की सप्लाई रोक दी है. यही वजह है कि मप्र के कस्बे सहित शहरों में भी घंटों-घंटों तक अंधेरा छाया रहता है.
1253 करोड़ बकाया, सिर्फ 153 करोड़ भुगतान
कोल कंपनियों का मध्यप्रदेश पर 1100 करोड़ रुपए बकाया है, भुगतान नहीं मिलने की स्थिति में इन कंपनियों ने कोयले की सप्लाई बंद कर दी है. मप्र के प्रमुख थर्मल पॉवर प्लांट को वेस्टर्न कोल लिमिटेड, नार्दन कोल लिमिटेड, साउथ इस्टर्न कोलफील्ड्स कोयले की सप्लाई करते हैं, सूत्रों की माने तो इन कंपनियों का 1253 करोड़ रुपए बकाया है, जबकि करीब 153 करोड़ रुपए से अधिक जून में पेमेंट किया गया था. हालांकि अभी भी करीब 1100 करोड़ इन थर्मल कंपनियों का बकाया है, जिसकी वजह से बिजली संकट गहराया हुआ है. वहीं सेंट्रल इलेक्ट्रिक अथॉरिटी ने भी कोयले की सप्लाई में कमी के पीछे भुगतान नहीं होना बताया है. एक नजर डालते हैं कहां पर कितना कोयला बचा है और कितनी रोजाना की खपत है, आंकड़े-स्टॉक की मात्रा (हजार टन) में है.
ऊपर टेबल में आंकड़े दिख रहे हैं कि पॉवर प्लांट (Thermal Power Plant) में रोजाना कितना कोयले की खपत है और कितना भंडारण इस समय मौजूद है. थर्मल पॉवर प्लांट की 9 और हाइडल की तीन यूनिटें भी कोयले की कमी की वजह से बंद कर दी गई हैं. मानक के मुताबिक बिजली उत्पादन इकाइयों में 14 से 21 दिनों का स्टॉक होना चाहिए, लेकिन कई जगह स्टॉक खत्म है और कई इकाइयों में बहुत ही कम मात्रा में स्टॉक बचा है, इस वजह से बिजली कटौती की जा रही है. मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान भी स्वीकार करते हैं कि बिजली संकट की वजह बांधों में पानी नहीं होना और कोयला खदानों में पानी भरा होना है.
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वहीं कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ ने शिवराज सरकार को घेरते हुए ट्विटर पर लिखा- मध्यप्रदेश में बिजली का संकट है कोयले की कमी और अघोषित बिजली कटौती से ही जिम्मेदार इनकार करते रहे और अब कई दिनों बाद शिवराज सरकार नींद से जागी है और अब खुद शिवराज सिंह स्वीकार कर रहे हैं कि प्रदेश में बिजली का संकट है, कोयले का भी संकट है.