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Published : Jan 21, 2021, 2:34 AM IST

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ई-टेंडर घोटालाः ED ने हैदराबाद से दो आरोपियों को किया गिरफ्तार, मनी लॉन्ड्रिंग के आरोप

ई-टेंडर घोटाले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने मेसर्स मंटेना कंस्ट्रक्शंस के संस्थापक और अध्यक्ष श्रीनिवास राजू मंटेना और उनके सहयोगी आदित्य त्रिपाठी को को धनशोधन निवारण अधिनियम के तहत गिरफ्तार किया है. जानें क्या है पूरा मामला...

ED
प्रवर्तन निदेशालय

भोपाल। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने मध्य प्रदेश में कथित तौर पर तीन करोड़ से भी ज्यादा के ई-टेंडर घोटाले में दो लोगों को गिरफ्तार किया है. इन पर धनशोधन (मनी लॉन्ड्रिंग ) का आरोप है. ये जानकारी केंद्रीय एजेंसी ने बुधवार को दी.ईडी ने अपने बयान में कहा कि मंटेना कंस्ट्रक्शन्स के संस्थापक व अध्यक्ष श्रीनिवास राजू और उनके सहयोगी आदित्य त्रिपाठी पर धन शोधन (निरोधक) अधिनियम के तहत कार्रवाई की गई है. दोनों ही आरोपियों को पीएमएलए कोर्ट में पेश किया गया. कोर्ट ने आरोपियों को 3 फरवरी तक न्यायिक हिरासत में भेज दिया है. दोनो ही आरोपी हैदराबाद से गिरफ्तार किए गए हैं.

एमपी के पूर्व मुख्य सचिव से जुड़े आरोपियों के तार

मंटेना कंपनी पर मप्र सरकार के ठेकों में ऑनलाइन टेंपरिंग कर कई कंपनियों को फायदा पहुंचाने और मनी लॉन्ड्रिंग का आरोप है. ये भी कहा जा रहा है कि श्रीनिवास राजू के तार एमपी के पूर्व मुख्य सचिव एम गोपाल रेड्डी से भी जुड़ रहे हैं. बता दें कि ईडी की टीम ने 7 जनवरी को गोपाल रेड्डी के हैदराबाद स्थित आवास पर छापामार कार्रवाई की थी. इसी दिन श्रीनिवास राजू से भी पूछाताछ करने के अलावा ईडी की टीम ने ई-टेंडर का सॉफ्टवेयर डेवलप करने वाली बेंगलुरू की अंट्रेस सॉफ्टवेयर कंपनी के यहां भी छानबीन की थी.

पूर्व में गिरफ्तार आरोपियों से पूछताछ कर सकती है ED

ईडी की दूसरी टीम ने भोपाल में मंटेना कंपनी के ठिकाने व ऑस्मो आईटी सॉल्यूशन प्राइवेट लिमिटेड के संचालक विनय चौधरी, अरुण चतुर्वेदी और सुमित गोलवलकर के यहां भी छानबीन की थी.ई-टेंडर घोटाले मामले में EOW ने 2019 में एफआईआर दर्ज की थी. इस मामले में EOW ने ऑस्मो आईटी सॉल्यूशन प्राइवेट लिमिटेड के 3 डायरेक्टर्स को गिरफ्तार कर जेल भेज चुकी है. इनमें विनय चौधरी, वरुण चतुर्वेदी और सुमित गोलवलकर शामिल हैं. गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था. माना जा रहा है कि अब ईडी की टीम भी जल्द इन आरोपियों से पूछताछ कर सकती है.

7 जनवरी को भी हुई थी कार्रवाई

ईडी यह पता लगाने की कोशिश कर रहा है कि क्या इन कंपनियों ने इन भुगतान के एवज में कुछ लोगों को आर्थिक लाभ पहुंचाया गया है. इसलिए ईडी इन कंपनियों के खातों से भुगतान पाने वाले कई लोगों के बैंक खातों की भी जानकारी जुटा रही है. ईडी ने 7 जनवरी को इसी सिलसिले में भोपाल, हैदराबाद और बेंगलुरु सहित 16 स्थानों पर छापे मारे थे.

फर्जी कंपनियां बनाकर हुआ खेल

पीएमएलए के तहत जांच के दौरान मेसर्स मंटेना कंस्ट्रक्शंस, मेसर्स मैक्स इन्फ्रा, मेसर्स जीवीपीआर इंजीनियर्स से जुड़े निवास और कार्यालय परिसर में 20 से अधिक स्थानों पर हैदराबाद, भोपाल और बेंगलुरु में तलाशी अभियान चलाया गया. अर्नी इन्फ्रा, मेसर्स ओसमो आईटी सॉल्यूशंस, मेसर्स एंट्रेस आदि से बड़ी मात्रा में घटिया दस्तावेज और डिजिटल उपकरणों को जांच के लिए जब्त कर लिया गया.

पीएमएलए के तहत विभिन्न हितधारकों के विवरण दर्ज किए गए हैं. मंटेना ग्रुप ने सीधे या फिर हैदराबाद स्थित अन्य कंपनियों के साथ पिछले कुछ वर्षों में सफल बोलियों में एक बड़ा उछाल देखा है. अब तक की जांच में पता चला है कि मेसर्स मंटेना कंस्ट्रक्शंस के संस्थापक और अध्यक्ष श्रीनिवास राजू मंटेना ने पूरे घोटाले में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है. अपने सहयोगी आदित्य त्रिपाठी की सहायता से उन्होंने भोपाल में एक फ्रंट इकाई मेसर्स अर्नी इंफ्रा की स्थापना की. इसका इस्तेमाल हवाला गतिविधियों से धन के लिए किया. श्रीनिवास राजू मंटेना और आदित्य त्रिपाठी दोनों ने स्वीकार किया है कि मेसर्स मंटेना कंस्ट्रक्शंस ने आदित्य त्रिपाठी को लगभग 93 करोड़ रुपये मूल्य के कंस्ट्रक्शंस कार्यों में उप-ठेके दिए हैं.

क्या है मामला

ई-टेंडर घोटाले की जांच लंबे समय से अटकी हुई थी. करीब 3 हजार करोड़ के ई-टेंडर घोटाले में साक्ष्यों व तकनीकी जांच में पाया गया कि ई प्रोक्योरमेंट पोर्टल में छेड़छाड़ कर मप्र जल निगम मर्यादित के 3 टेंडर, लोक निर्माण विभाग के 2, जल संसाधन विभाग के 2, मप्र सड़क विकास निगम का एक, लोक निर्माण विभाग की पीआईयू का एक. इस तरह कुल 9 निविदाओं के सॉफ्टवेयर में छेड़छाड़ की गई. EOW ने कंप्यूटर इमरजेंसी रिस्पॉंस टीम को एनालिसिस रिपोर्ट के लिए 13 हार्ड डिस्क भेजी थीं.इसमें से टेंपरिंग की पुष्टि हुई थी. उस ईओडब्ल्यू ने इस मामले में एफआईआर दर्ज की थी.

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