मध्य प्रदेश

madhya pradesh

ETV Bharat / state

पर्यावरण को संतुलित करने के लिए बनाया गया ईको-फ्रेंडली गौ काष्ठ ईंधन

भोपाल में नदियों और पर्यावरण को प्रदूषित होने से रोकने के लिए कृषि वैज्ञानिकों ने गाय के गोबर से ईको-फ्रेंडली ईंधन बनाया है.

By

Published : Oct 30, 2019, 9:42 AM IST

पर्यावरण बचाने बनाया गया ईको-फ्रेंडली गौ काष्ठ ईंधन

भोपाल। अंतिम संस्कार में इस्तेमाल चीजों के कारण नदियों और पर्यावरण में प्रदूषण की मात्रा लगातार बढ़ती जा रही है. प्रदूषण की मात्रा को कम करने के लिए कृषि वैज्ञानिकों ने गाय के गोबर से ईको-फ्रेंडली ईंधन बनाया है. यह ईंधन बेहद सस्ता है और इससे वायु प्रदूषण भी नहीं होगा. आमतौर पर शव को जलाने के लिए 4-5 क्विंटल लकड़ी की जरूरत होती है. वहीं गाय के गोबर से तैयार दो क्विंटल फ्यूल स्टिक्स एक शव को जलाने के लिए काफी होता है.

कृषि वैज्ञानिकों ने बनाया ईको-फ्रेंडली गौ काष्ठ ईंधन

पर्यावरण को संतुलित करने के लिए ईधन के स्रोत के रूप में वृक्षों पर यह निर्भरता घटाने में गौ काष्ठ मदद कर सकता है. इंसान अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए लगातार पर्यावरण को नुकसान पहुंचा रहा है. एक सर्वे के मुताबिक एक तिहाई लकड़ी का इस्तेमाल अंतिम संस्कार के लिए किया जाता है, वहीं एक अनुमान के मुताबिक देश में साल भर में शव जलाने में तकरीबन 5 करोड़ पेड़ काटे जाते हैं.

कृषि वैज्ञानिकों ने बनाया ईको-फ्रेंडली गौ काष्ठ ईंधन

घरेलू और औद्योगिक दोनों तरह की जरूरतों के लिए प्राकृतिक गैस, पेट्रोल और कोयले पर निर्भरता बढ़ती जा रही है. ऊर्जा के वैकल्पिक साधनों की तलाश में सौर ऊर्जा के साथ-साथ गाय के गोबर को ईंधन के एक नए विकल्प के रूप में स्थापित किया गया है. 500 किलो लकड़ी के लिये दो बड़े पेड़ काटने पड़ते हैं, जिसका खर्च करीब 4000 रुपये आता है. वहीं 500 किलो लकड़ी के स्थान पर गौ काष्ठ का प्रयोग किया जाये तो 300 किलो गौ काष्ठ में ही काम हो जाता है.

कृषि वैज्ञानिकों ने बनाया ईको-फ्रेंडली गौ काष्ठ ईंधन

मध्यप्रदेश में गौवंश का प्रतिशत

19 वीं पशु संगणना के अनुसार मध्यप्रदेश में कुल गौवंशीय पशु 196.00 लाख हैं, जिसमें देसी नस्ल के गौवंश 18761389 हैं और संकर नस्ल के गौवंश 840977 हैं. भारत की तुलना में मध्यप्रदेश का देसी नस्ल गौवंश का प्रतिशत 12.41 है, वहीं गौवंश की उपलब्धता को देखते हुए गोबर से गौ काष्ठ का उत्पादन करना एक फायदेमंद बिजनेस के रूप में उभर सकता है.

कृषि वैज्ञानिकों ने बनाया ईको-फ्रेंडली गौ काष्ठ ईंधन

गौ काष्ठ किसे कहते हैं?

पारंपरिक तरीके से गाय के गोबर से कण्डे बनाए जाते हैं जिसका उपयोग ईंधन के रूप में किया जाता हैं. कण्डों के आकार में परिवर्तन कर इसे लकड़ी के आकार में बना कर इसका वेल्यू एडिशन किया गया है, यह सूखा गोबर है जिसका आकार लकड़ी में होता है जिसे गौ काष्ठ कहा जाता है.

कृषि वैज्ञानिकों ने बनाया ईको-फ्रेंडली गौ काष्ठ ईंधन

गौ काष्ठ को जलाने के लिए कैसे तैयार किया जाता है ?

गौ काष्ठ हाथों से और मशीन दोनों तरीके से तैयार किया जा सकता है. मशीन में गोबर को डाला जाता है जिसे 4 से 5 फिट लंबे लकड़ी के आकार में ढ़ाला जाता है, फिर इसे 5 से 6 दिन तक सुखाया जाता है और गौ काष्ठ जलाने के लिये तैयार किया जाता है. करीब 01 क्विंटल गोबर में गौशाला में उपलब्ध अन्य बचे अपशिष्ट को मिलाकर 01 क्विंटल लकड़ी बनाई जाती है, यदि गोबर में लैकमड मिलाया जाया तो यह ज्यादा समय तक जलाया जा सकता है. वहीं एक मशीन से दिन भर में 10 क्विंटल गोबर से लकड़ियां बनाई जा सकती हैं गौ काष्ठ की लागत करीब 7/- रुपये प्रति किलो पड़ती है.

गौ काष्ठ का उपयोग किन स्थानों पर किया जा सकता है ?

घरेलू उपयोग में लकड़ी की जगह पर गौ काष्ठ का उपयोग आसानी से किया जा सकता है. श्मशान घाटों पर भी अंतिम संस्कार में उपयोग के साथ ही धार्मिक आयोजनों जैसे- होलिका दहन, यज्ञ, हवन इत्यादि में गाय के गोबर एवं कण्डों का बड़ा महत्व होता है जिसमें गौ काष्ठ का उपयोग किया जा सकता है.

स्थानीय बाजार में भी गौ काष्ठ को बेचा जा सकता है

एक ओर जहां गौ काष्ठ ईंधन के बेहतर विकल्प के रूप में उपयोग की बहुत संभावनाऐं विद्यमान हैं, वहीं गौ काष्ठ को स्थानीय बाजार में बेचने से कृषक और गौशालाओं को भी आर्थिक लाभ प्राप्त हो रहा है.

जागरूकता बढ़ाएं और रोजगार पाएं

मध्यप्रदेश गौपालन एवं पशुधन संवर्धन बोर्ड के द्वारा किए गए प्रयासों से गौशालाओं में गौकाष्ठ निर्माण के प्रति जागरूकता बढ़ाई है. मध्यप्रदेश गौपालन एवं पशुधन संवर्धन बोर्ड ने प्रदेश की गौशालाओं को स्वावलंबी बनाने की दिशा में, गौकाष्ठ बनाने हेतु प्रोत्साहित किया है, इससे गौशालाऐं गौ काष्ठ का निर्माण, विपणन कर आय अर्जित कर रही है. वहीं गाय के गोबर से ईको-फ्रेंडली ईंधन बनाने से पर्यावरण और पेड़-पौधे सुरक्षित रहेंगे, और धुएं से निजात मिलेगी वहीं वायु प्रदूषण भी काफी कम होगा. वहीं कई लोगों को इससे रोजगार मिलेगा .

ABOUT THE AUTHOR

...view details