भोपाल। मध्य प्रदेश सरकार की विभिन्न विभागों द्वारा बांटी जाने वाले अनुदान की राशि में भारी गड़बड़ी सामने आई है. वर्ष 2016-17 और 2018-19 के दौरान प्रदेश के 25 विभागों ने सहायता अनुदान के नाम पर 14470 करोड़ रुपये की राशि तो बांट दी, लेकिन इसकी उपयोगिता प्रमाण पत्र आज तक पेश ही नहीं किया. भारत के नियंत्रक महालेखा पर कड़ी आपत्ति जताते हुए राशि के दुरुपयोग और धोखाधड़ी की आशंका जताई हैं.
5 विभागों में मिली सबसे ज्यादा गड़बड़ी
विधानसभा में पेश हुई सीएजी की रिपोर्ट के मुताबिक, वर्ष 2016-17 के दौरान मार्च 2019 तक 20253 उपयोगिता प्रमाण पत्र प्राप्त नहीं हुए. इसकी राशि 13978 करोड़ रुपए है. इसी तरह वर्ष 2018-19 में 25 उपयोगिता प्रमाण पत्र वर्ष के अंत तक पेश नहीं किए गए. इसकी राशि 492 करोड़ रुपए है. इस तरह 2 वर्षों के दौरान 14470 करोड़ रुपए की राशि की उपयोगिता प्रमाण पत्र विभागों द्वारा पेश ही नहीं किए गए. 31 मार्च 2019 को बकाया उपयोगिता प्रमाण पत्रों की राशि में से 85 फीसदी से ज्यादा राशि सिर्फ पांच विभागों से जुड़ी है.
14 हजार करोड़ का महा घोटाला! CAG की रिपोर्ट में खुलासा - उपयोगिता प्रमाण पत्र
अनुदान के नाम पर भारी गड़बड़ी सामने आई है. 25 विभागों ने 14 हजार करोड़ रुपये की राशि बांटी, लेकिन अभी तक उपयोगिता प्रमाण पत्र नहीं दिए गए.
![14 हजार करोड़ का महा घोटाला! CAG की रिपोर्ट में खुलासा disturbances in the grant amount](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/768-512-10856003-614-10856003-1614773879967.jpg)
आहार अनुदान योजना से वंचित आदिवासी महिलाएं, नहीं मिल रहा लाभ
1. पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग ने 2 साल बाद भी 1268 उपयोगिता प्रमाण पत्र पेश नहीं किए, जबकि इसकी राशि 8 हजार 711 करोड़ रुपए की है.
2. खाद्य नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता संरक्षण विभाग ने 1453 उपयोगिता प्रमाण पत्र पेश नहीं किए, जबकि इसकी राशि 2 हजार 186 करोड़ रुपए है.
3. सामाजिक कल्याण विभाग द्वारा 1143 उपयोगिता प्रमाण पत्र 31 मार्च 2019 तक पेश नहीं किए, जबकि इसकी राशि 768 करोड़ रुपए है.
4. कृषि विभाग द्वारा 439 करोड़ रुपए के अनुदान बांटे गए, लेकिन इसके 3090 उपयोगिता प्रमाण पत्र पेश ही नहीं किए.
5. शहरी प्रशासन एवं विकास विभाग द्वारा 321 करोड़ राशि के अनुदान दिए गए, लेकिन इसके 684 उपयोगिता प्रमाण पत्र 31 मार्च 2019 की स्थिति में बकाया है.
दो साल बाद भी विभागों ने पेश नहीं किए दस्तावेज
सशर्त अनुदानों के प्रकरण में स्वीकृति देने वाले प्राधिकारी द्वारा अनुदानों के उपयोग के संबंध में औपचारिक उपयोगिता प्रमाण पत्र महालेखाकार को उसी वर्ष या आगामी वर्ष की 30 सितंबर तक दिए जाने चाहिए थे, लेकिन यह उपयोगिता प्रमाण पत्र 2 साल बाद तक नहीं सौंपे गए. महालेखा परीक्षक ने इस पर कड़ी आपत्ति जताई है. उन्होंने आशंका जताई है कि अधिक उपयोगिता प्रमाण पत्रों के लंबित होने से निधि का दुरुपयोग और धोखाधड़ी हो सकती है.