भोपाल। एमपी के विधानसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी और कांग्रेस का टूटा गठबंधन का असर लोकसभा चुनाव तक किस शक्ल में जाएगा...उससे बड़ा सवाल फिलहाल ये है कि विधानसभा चुनाव में ये कांग्रेस के वोट बैंक पर क्या असर दिखाएगा...कहा यही जा रहा है कि 45 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतार चुकी सपा की सीधी लड़ाई भले बीजेपी से हो, लेकिन मुश्किलें तो कांग्रेस की भी बढ़ेगी. सीटों के बंटवारे को लेकर सपा प्रमुख अखिलेश यादव और कांग्रेस अध्यक्ष पीसीसी चीफ कमलनाथ के बीच की तल्खी कहां तक जाएगी. फिलहाल समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता यश भारतीय का बयान काबिल ए गौर है. कांग्रेस बड़ा दल है तो बड़ा दिल दिखाना भी चाहिए था.
एमपी में 6 से 45 पर समाजवादी..गणित क्या है: समाजवादी सुप्रीमो अखिलेश यादव ने कांग्रेस से 6 ऐसी सीटें मांगी थी. जिन पर पार्टी विनिंग रही है, या दूसरे नंबर पर. बताया जाता है कि खेल यहीं से बिगड़ा और कांग्रेस ने वो 6 सीटें सपा को नहीं दी. अब जब गठबंधन का सूरत-ए-हाल नहीं बना तो समाजवादी पार्टी ने 6 से बढ़ाकर 45 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतार दिए हैं. इनमें जहां से समाजवादी पार्टी को जीत की उम्मीद है. उनमें चंबल के अलावा विंध्य का इलाका खास है. सवाल ये है कि जब कांग्रेस और समाजवादी पार्टी अलग-अलग चुनाव लड़ रही है. तो बीजेपी को टारगेट करते एक लक्ष्य पर अलग अलग रास्ते से बढ़ रही पार्टियां क्या अपने टारगेट को हासिल कर पाएंगी. समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता यश भारतीय कहते हैं "समाजवादी पार्टी का लक्ष्य एक ही है बीजेपी को हराना. उसी टारगेट के साथ पार्टी ने उन 45 सीटों पर उम्मीदवार उतारे हैं. जहां से हम मजबूती स्थिति में है. इनमें से कई सीटें तो ऐसी हैं कि पिछले चुनाव में इन सीटों पर सपा पहले या दूसरे नंबर पर रही थी.