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किसानों की समस्याओं को लेकर दिग्विजय सिंह का शिवराज को पत्र - bhopal news

दिग्विजय सिंह ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को पत्र लिखकर किसानों की समस्याओं से रूबरू कराया है. साथ ही उन्होंने सीएम को कई सुझाव भी दिए.

Digvijay Singh and cm Shivraj Singh Chauhan
दिग्विजय सिंह और सिएम शिवराज सिंह चौहान

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Published : May 19, 2021, 2:16 PM IST

भोपाल। दिग्विजय सिंह ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को पत्र लिखा है. पत्र में किसानों की समस्याओं का जिक्र करते हुए उन्होंने लिखा है कि कृषि उपज मंडी बंद होने के कराण जिन किसानों का रजिस्ट्रेशन नहीं हुआ था. वह अपनी उपज नहीं भेज पा रहे. ऐसे में उनको साहूकारों से कर्ज लेना पड़ रहा है. दिग्विजय सिंह ने शिवराज से मांग की है कि वे फिर से पोर्टल पर फसलों का रजिस्ट्रेशन कराएं, जिससे किसान को राहत मिल सके.

सभी कृषि उपज मंडियां बंद

कोरोना के बढ़ते संक्रमण के बीच प्रदेश की सभी कृषि उपज मंडियां बंद हैं. राज्य सरकार द्वारा ई उपार्जन पोर्टल पर पंजीयन के माध्यम से किसानों की गेहूं की फसल को क्रय किया गया है, लेकिन वर्तमान हालातों में सभी किसान अपनी फसल को पंजीयन के माध्यम से न्यूनतम समर्थन मूल्य पर नहीं बेच पाए हैं. धनिया, सरसों और चने की फसल भी नहीं बिक पाई है. छोटे किसानों द्वारा ग्रामीण क्षेत्रों में अभी भी खाद, बीज और अन्य कृषि संबंधी आवश्यकताओं के लिए साहूकारों से ऊंची ब्याज दर पर कर्ज लिया जा रहा है, जो उन्हें फसल आते ही चुकाना होता है. मंडियां बंद होने से अनेक किसान अपनी उपज को बेच नहीं पा रहे हैं, जिसके कारण वे साहूकारों से ब्याज पर ली गई राशि चुकाने में असमर्थ हैं. ऐसी स्थिति में किसानों पर काफी मानसिक दबाव है.

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किसानों की समस्याओं के समाधान के लिए दिग्विजय सिह के सुझाव

  • जो किसान अपनी रबी की फसल जैसे गेहूं, चना, धनिया और सरसों आदि नहीं बेच पाए हैं उनके लिए फसलों को बेचने के लिए कोरोना गाइडलाइन का पालन करते हुए व्यवस्था की जाए. इसके लिये सरकार ई-उपार्जन पोर्टल के माध्यम से किसानों की फसल का पंजीयन फिर से प्रारंभ करें.
  • मंडियां बंद होने के कारण किसानों को हो रहे आर्थिक नुकसान के लिए उन्हें विशेष पैकेज दिया जाना चाहिए, ताकि वर्तमान हालात में वे अपना गुजारा कर सके.
  • मई का महीना बीतने वाला है और किसानों के पास आगामी फसल के लिए अपने खेतों को तैयार करने और खाद बीज आदि की व्यवस्था करने के लिए सिर्फ एक महीना बचा है. ऐसी स्थिति में रासायनिक उर्वरक को सहकारी समितियों के माध्यम से सीधे किसानों के घर तक पहुंचाने के लिए ट्रांसपोर्ट की व्यवस्था की जानी चाहिए.
  • बीज और कीटनाशकों की दर निर्धारित की जानी चाहिए और अमानक बीज के विक्रय और उसकी कालाबाजारी को रोकने के लिए पहले से ही प्रबंध करना चाहिए. इस ओर ध्यान नहीं देने पर नकली बीज और कीटनाशकों को धंधा करने वाले लोग भी आपदा में अवसर निकाल लेंगे.
  • फल, सब्जी आदि जल्दी खराब हो जाते हैं. इसलिए उन्हें स्टोर करना मुश्किल है. उनके लिए छोटी-छोटी वैकल्पिक मंडियों की व्यवस्था की जानी चाहिए और किसानों के नुकसान की स्थिति में सरकार द्वारा सीधे किसानों की मदद की जानी चाहिए.

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