भोपाल। पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह राज्यपाल आनंदीबेन पटेल को चिट्ठी लिखी है. पत्र में पूर्व मुख्यमंत्री ने ग्वालियर के राजा मानसिंह तोमर संगीत एवं कला विश्वविद्यालय में सहायक अध्यापकों के पद पर की गई नियम विरुद्ध और अयोग्य लोगों की नियुक्ति को निरस्त करने की मांग की है. साथ ही भर्ती की निष्पक्ष जांच कर दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है.
दिग्विजय सिंह का राज्यपाल को पत्र राज्यपाल आनंदीबेन पटेल को लिखे पत्र में उन्होंने कहा है कि राजा मानसिंह तोमर संगीत एवं कला विश्वविद्यालय ग्वालियर में सहायक प्राध्यापकों के पद पर नियम विरुद्ध और मनमाने तरीके से नियुक्ति किए जाने का प्रकरण मेरे समक्ष आया है. मुझे दस्तावेजों सहित जानकारी मिली है कि डॉ. योगेश्वरी फिरोजिया , डॉ. सुनील पावगी, डॉ योगेंद्र चौबे और डॉ अंजना झा की यूजीसी के मापदंडों के विरुद्ध नियुक्तियां की गई है. नियुक्तियों के विरुद्ध जाने की शिकायतें प्राप्त होने पर विश्वविद्यालय की तत्कालीन कुलपति द्वारा बाह्य विशेषज्ञों की जांच समिति गठित कर प्रकरण की जांच करवाई जा चुकी है.
दिनांक 3 जून 2018 के जांच प्रतिवेदन में जांच समिति ने पाया है कि कोई भी नियुक्ति यूजीसी के मापदंडों के अनुरूप नहीं की गई है. डॉक्टर फिरोजिया ने 1998 साल में हायर सेकेंडरी परीक्षा 14 अंकों के ग्रेस मार्क के साथ पास की है, वो भी संदिग्ध है. क्योंकि माध्यमिक शिक्षा मंडल की परीक्षाओं में 14 अंक गणित के रूप में नहीं दिए जाते हैं.उन्होंने विक्रम विश्वविद्यालय से द्वितीय श्रेणी में बीए पास किया है. इनके पास यूजीसी के नियमों के अनुसार शोध अनुभव, बुक पब्लिश, वर्कशॉप एवं प्रोजेक्ट संबंधी को योग्यता नहीं है. उन्होंने आगे लिखा है कि स्नातक परीक्षा में अंग्रेजी प्रश्न पत्र में इन्हें 50 में से 14 अंक प्राप्त हुए हैं. शेष तीन सहायक प्राध्यापकों की योग्यता और अनुभव की भी कमोबेश यही स्थिति है.
सुलभ संदर्भ हेतु दस्तावेजों की छाया प्रतियां आपकी और प्रेषित कर रहा हूं. यह प्रश्न पैदा होना स्वाभाविक है कि किस योग्यता के आधार पर यूजीसी के नियमों के विरुद्ध एक विश्वविद्यालय में सहायक अध्यापक नियुक्त कर दिया गया है.
मेरा आपसे अनुरोध है कि नियुक्तियों की निष्पक्ष जांच कराई जा कर तत्काल सेवा से हटाने एवं दोषी अधिकारियों के विरुद्ध सख्त कार्रवाई हेतु समुचित निर्देश प्रदान करने का कष्ट करें. ताकि भविष्य में किसी योग्य व्यक्ति का हक ना मारा जाए एवं शिक्षा के क्षेत्र में अयोग्य व्यक्तियों के प्रवेश से छात्रों को होने वाले नुकसान से बचाया जा सके.