भोपाल। मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यंत्री दिग्विजय सिंह ने कोरोना वायरस से निपटने के लिए किए जा रहे सुरक्षा इंतजामों पर सवाल उठाए हैं. दिग्विजय ने शुक्रवार को ट्वीट किया, कि "पूरे देश में डॉक्टरों और मेडिकल स्टाफ को कोरोना वायरस से बचाव के लिए पीपीई मॉस्क और दस्तानों की जो व्यवस्था करनी चाहिए, वह नहीं हुई. टेस्टिंग किट भी नहीं है. भोपाल में केवल एम्स में टेस्टिंग किट है, वो भी एक दिन में केवल 30 से 40 टेस्ट ही कर सकती है.
उन्होंने एक ट्वीट में कहा कि कोरिया और सिंगापुर ने सबसे प्रभावी ढंग से कोरोना वायरस को नियंत्रित किया है. उसने प्रभावशाली ढंग से समय पर लॉकडाउन, जिस क्षेत्र में मरीज पाया गया उस क्षेत्र को पूरे प्रभावी ढंग से अलग कर दिया और भारी मात्रा में टेस्टिंग किट शहरों में रखे गए और प्रयोगशालों की व्यवस्था की. पूर्व मुख्यमंत्री ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी द्वारा फरवरी में कोरोना के खतरों से आगाह करने के बावजूद सरकार द्वारा ध्यान न दिए जाने का भी जिक्र करते हुए कहा कि जब चीन, कोरिया, सिंगापुर ये सब कर रहे थे, राहुल गांधी ने फरवरी महीने से इस खतरे से मोदी जी को आगाह कर रहे थे, लेकिन भाजपा अपने राजनीतिक एजेंडे में व्यस्त थी.
कम से कम अब संपूर्ण मेडिकल स्टाफ को बचाव के संसाधन और अधिक से अधिक मात्रा में टेस्टिंग किट उपलब्ध कराने चाहिए." मध्य प्रदेश में इस दिशा में आवश्यक प्रयास किए जाने का आग्रह करते हुए सिंह ने कहा कि "मैंने मप्र सरकार से अनुरोध किया है कि वो तत्काल अधिक से अधिक और जल्दी से जल्दी टेस्ट करने की मशीन खरीदने के आदेश देने का कष्ट करें." उन्होंने लिखा कि हमारे पास कई लोगों के फ़ोन आ रहे हैं, चिट्ठियां भी हैं. जिसमें उन्होंने विदेश से आने के बाद सरकारों को इत्तिला किया. सेल्फ क्वारेंटाइन में हैं, लेकिन सरकार की तरफ से कोई जांच की ना तो पहल की गई, ना ही कोई पूछने आया.
सरकार पर वार करते हुए दिग्विजय सिंह ने ट्वीट किया है कि ये हालात हुए लगभग 12 दिन से ऊपर हो चुके हैं. दूसरी तरफ कैबिनेट सचिव अब कह रहे हैं कि राज्यों द्वारा विदेश से आने वाले यात्रियों की जांच में गैप रह गया है. यानी चूक सरकार की रही और झेल जनता रही है. क्या ये महजज चूक है या कहानी जानबूझकर बिगाड़ी गई. एक दिन अचानक उनके घर के बाहर कोरोना पॉज़िटिव का पोस्टर चस्पा कर दिया गया. अब आलम ये है कि ना तो वो बाहर निकल सकते हैं और ना ही लोग उनसे संपर्क रखना चाहते हैं. उनके घर दूध देनेवाले, अख़बार देने वाले, बुजुर्गों के लिए नर्स, ड्राइवर सभी ने आना बंद कर दिया है.