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कोरोना संक्रमितों की संख्या में उलझा स्वास्थ्य-जनसंपर्क विभाग, रोजाना दे रहा अलग आंकड़े - health department mp

प्रदेश में रोजाना स्वास्थ्य विभाग और जनसंपर्क विभाग के जारी किए जाने वाले हेल्थ बुलेटिन में कोरोना संक्रमित के आकड़ों में अंतर देखने को मिल रहा है.

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Published : Apr 19, 2020, 9:36 AM IST

Updated : Apr 19, 2020, 9:56 AM IST

भोपाल। वैश्विक महामारी की चपेट में पूरी दुनिया है, इस महामारी ने विकासशील और विकसित देशों को घुटनों पर ला दिया है, हालात भारत में भी गंभीर है और इन्हीं हालातों में मध्य प्रदेश कोरोना संक्रमितों के आंकड़े में टॉप 10 में आ चुका है, पूरी दुनिया सिर्फ कोरोना संक्रमितों के आंकड़ों पर नजर गड़ाए हुए है कि कहां कितने मामले सामने आए हैं, लेकिन मध्यप्रदेश में स्वास्थ्य विभाग के आंकड़ों के हेरफेर में उलझा है, जिलेवार आंकड़े देखें तो कहानी कुछ और बयां होती है, लेकिन जब प्रदेश के आंकड़े स्टेट बुलेटिन के जरिये जारी होती है तो आंकड़ों की कहानी अलग ही हो जाती है.

स्वास्थ्य विभाग और जनसंपर्क के आकड़ों में अंतर

प्रदेश और जिले स्तर पर रोजाना शाम को कोरोना संक्रमितों के आंकड़े जारी किए जाते हैं, स्वास्थ्य विभाग जब आंकड़े जारी करता है तो उसमें प्रभावित हर जिले के संक्रमितों की संख्या होती है और जिले के जनसंपर्क की तरफ से जारी होने वाले आंकड़े उसी जिले के होते हैं, लेकिन जिला जनसंपर्क और मध्यप्रदेश स्वास्थ्य विभाग के आंकड़ों में बड़ा अंतर रोजाना देखने को मिलता है.

प्रदेश के जनसंपर्क विभाग की ओर से जारी हेल्थ बुलेटिन और स्वास्थ्य विभाग की तरफ से जारी होने वाली स्टेट बुलेटिन में भी रोजाना गड़बड़ी मिलती है. भोपाल जनसंपर्क ने 17 अप्रैल को जारी किए अपने बुलेटिन में शहर में 186 कोरोना संक्रमितों का आंकड़ा बताया था, जबकि स्वास्थ्य विभाग ने अपने बुलेटिन में भोपाल के आंकड़े 197 जारी किया था, यानी सीधा-सीधा 11 पीड़ितों का अंतर सामने आया है, वहीं 18 अप्रैल को जारी स्टेट बुलेटिन में भी अंतर देखने को मिला.

रोजाना जारी होने वाले आंकड़ों का ये अंतर कभी-कभी 20 से 25 तक पहुंच जाता है, यानी अब आंकड़ों की इस उलझन का निष्कर्ष निकालें तो यही लगता है कि या तो भोपाल जनसंपर्क पीड़ितों के आंकड़े छिपा रहा है या फिर मध्यप्रदेश स्वास्थ्य विभाग राजधानी भोपाल के प्रशासन से तालमेल नहीं बैठा पा रहा है.

ये अंतर न केवल राजधानी भोपाल बल्कि लगभग हर जिले में देखने को मिल रहा है, जब इस अंतर और असमन्वय की स्थिति को लेकर अधिकारियों से बात की गई तो वो भी सकते में आ गए और इस पर कुछ भी कहने से बचते रहे. हालांकि, संख्या में अंतर शुरू से ही देखने को मिल रहा है, पर बस पता नहीं चल पा रहा कि ये असमन्वय किस स्तर से हो रहा है और इतने दिन होने के बाद भी इसे अब तक क्यों ठीक नहीं किया गया.

Last Updated : Apr 19, 2020, 9:56 AM IST

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