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राज्य सरकार के आदेश पर हाईकोर्ट का स्टे, पिछड़ा वर्ग आयोग के अध्यक्ष बने रहेंगे धनोपिया - शिवराज सरकार के आदेश पर स्टे

शिवराज सरकार बनने के बाद कमलनाथ सरकार में की गईं नियुक्तियों को निरस्त कर दिया गया था, जिसके बाद कई आयोग के अध्यक्षों ने हाई कोर्ट की शरण ली थी, अब हाई कोर्ट ने सभी की नियुक्तियों पर स्टे लगा दिया है.

Stay of the High Court on the orders of the State Government
राज्य सरकार के आदेश पर हाईकोर्ट का स्टे

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Published : May 28, 2020, 12:50 AM IST

भोपाल। मध्यप्रदेश में कमलनाथ सरकार गिरने के सियासी ड्रामे के दौरान तत्कालीन मुख्यमंत्री कमलनाथ ने कई आयोग के पद पर कांग्रेस नेताओं की नियुक्ति की थी. 20 मार्च को सरकार गिरने के बाद जैसे ही शिवराज सरकार अस्तित्व में आई. शिवराज सरकार ने तमाम नियुक्तियां निरस्त कर दी थीं. इस मामले में आयोगों में नियुक्त किए गए अध्यक्ष और सदस्य हाईकोर्ट की शरण में गए थे. जिनमें से ज्यादातर लोगों को हाईकोर्ट से स्थगन आदेश मिल गया है. आज मध्यप्रदेश पिछड़ा वर्ग आयोग के अध्यक्ष पद पर नियुक्त किए गए जेपी धनोपिया की याचिका पर भी यथास्थिति बनाए रखने के निर्देश हाई कोर्ट ने जारी किए हैं.

मध्यप्रदेश सरकार द्वारा पिछड़ा वर्ग आयोग के पद पर दिनांक 17 मार्च को जेपी धनोपिया की नियुक्ति की गई थी और उन्होंने 17 मार्च को ही कार्यभार ग्रहण कर लिया था. जिसे शिवराज सरकार ने शपथ लेने के दूसरे दिन निरस्त कर दिया था. इस आदेश की संवैधानिकता को उच्च न्यायालय में चुनौती दी गई थी. याचिका की प्रारंभिक सुनवाई 27 मई 2020 को करते हुए न्यायमूर्ति विजय शुक्ला की बेंच द्वारा निरस्तीकरण आदेश के प्रभाव पर रोक लगाते हुए, यथास्थिति बनाए रखने का आदेश दिया गया है. जेपी धनोपिया की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता अजय मिश्रा ने पक्ष रखा.

इसके अलावा राज्य महिला आयोग के पद पर शोभा ओझा, मध्यप्रदेश युवा आयोग के अध्यक्ष पद पर अभय तिवारी, मध्यप्रदेश अनुसूचित जाति जनजाति आयोग के अध्यक्ष पद पर आनंद अहिरवार के अलावा तमाम आयोगों के सदस्यों को भी हाईकोर्ट द्वारा स्टे मिल गया है. ज्यादातर आयोग के अध्यक्ष और सदस्यों ने अपना कामकाज भी शुरू कर दिया है.

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