भोपाल।कोरोना संक्रमण के चलते कई बड़े व्यवसाय बंद पड़े हैं, ऐसे में लाखों लोग बेरोजगार हो चुके हैं. बड़ी-बड़ी कंपनियां एम्प्लाइज की छंटनी कर रही हैं. जिससे लोग डिप्रशन में जा रहे हैं और आत्महत्या को लगे लगा रहे हैं. राजधानी भोपाल के फैमिली कोर्ट में एक ऐसा मामला सामने आया है, जहां बेंगलुरु में काम करने वाले युवक को नौकरी से निकाल दिया गया. जिसके बाद युवक ने आत्महत्या करने की कोशिश की. हालांकि उसकी मां ने समय रहते उसे बचा लिया.
डिप्रेशन युवाओं के लिए चिंताजनक
भारत में बेरोजगारी के चलते आत्महत्या के मामले वैसे भी कम नहीं हुए हैं और अब कोरोना काल में लोगों की नौकरी चली गई हैं. जिससे आत्महत्या के मामले एक बार फिर बढ़ गए हैं. कोरोना के चलते अचानक हुए इस लॉकडाउन में लोग डिप्रेशन का शिकार हो रहे हैं. राजधानी के फैमिली कोर्ट में डिप्रेशन से जुड़े ऐसे मामले आ रहे हैं, जो युवाओं के लिए चिंताजनक है.
कई कारणों के चलते लोग डिप्रेशन का शिकार हो रहे हैं, चाहे फिर वो घर में हो, ऑफिस का काम करने वाले हो या फिर ऑफिस से निकाल दिए जाने वाले एम्पलाइज हों. वहीं अकेलापन भी डिप्रेशन का एक बड़ा कारण है. राजधानी के फैमिली कोर्ट में डिप्रेशन से जुड़े कई मामले आ रहे हैं, लेकिन हाल ही में जो मामले आ रहे हैं वह चिंताजनक है.
आर्थिक तंगी के चलते लोग डिप्रेशन के शिकार
लॉकडाउन के चलते जहां बड़ी-बड़ी कंपनियों में काम करने वाले लाखों एम्पलाइज को निकाल दिया गया है. वहीं जो एम्पलाइज काम कर रहे हैं, वह 50 प्रतिशत वेतन पर काम कर रहे हैं, ऐसे में लोगों की आर्थिक स्थिति खराब हो गई है. यही वजह है कि आर्थिक तंगी के चलते लोग डिप्रेशन की ओर जा रहे है और आत्महत्या को गले लगा रहे है.
फैमिली कोर्ट में आ रहे डिप्रेशन के मामले
भोपाल के फैमिली कोर्ट में एक ऐसा मामला सामने आया है, जहां बेंगलुरु में काम करने वाले युवक को नौकरी से निकाल दिया गया. युवक भोपाल शहर का रहने वाला है, जो लंबे समय से बेंगलुरु में कार्यरत था, लेकिन अचानक हुए इस लॉकडाउन के बाद बेंगलुरु की इस कंपनी ने कई एम्पलॉइज की छंटनी की. जिसमें युवक को भी नौकरी से निकाल दिया गया. परिवार की माने तो युवक अपने परिवार की रिस्पांसिबिलिटी खुद उठाता था और काफी अच्छे पैकेज पर जॉब कर रहा था.
डिप्रेशन में आत्महत्या करने को मजबूर
लॉकडाउन में युवक कुछ दिनों तक बेंगलुरु में ही रहा, उसे उम्मीद थी कि दूसरी नौकरी मिल जाएगी, लेकिन कोरोना के इस काल में ये मुमकिन नहीं हुआ और युवक को भोपाल आना पड़ा. इसी बीच युवक की महिला मित्र थी, जिससे वो सारी बातें शेयर किया करता था, लेकिन आर्थिक तंगी के चलते वो अपने आप को असहाय महसूस करने लगा, जिसके बाद उसने महिला मित्र से भी बात करना बंद कर दिया. घरवालों से भी दूरी बनाई और एक दिन आत्महत्या करने पर मजबूर हो गया. समय पर मां कमरे में पहुंच गई और युवक की जान बच गई.
डिप्रेशन से लोगों को निकालना बेहद मुश्किल
डॉक्टर के ट्रीटमेंट के कुछ दिन बाद युवक की मां ने फैमिली कोर्ट की काउंसलर से संपर्क किया और अपने बेटे की काउंसलिंग कराई. इस तरह के मामलों की काउंसलिंग लंबे समय तक चलती है. डिप्रेशन से किसी इंसान को निकालना बेहद मुश्किल काम है.
काउंसलर ने दी जानकारी
फैमिली कोर्ट की काउंसलर सरिता राजानी बताती है कि, इस तरह के कई मामले आए हैं और लॉकडाउन में इनकी संख्या बढ़ी है. ऐसे में जरूरी है कि, लोग डिप्रेशन की ओर ना जाएं, बल्कि अपने समय का सदुपयोग करें. अगर नौकरी से निकाल भी दिया गया है, तो आपके पास दूसरा मौका है आत्महत्या करना कोई विकल्प नहीं है. इसी तरह से इन मामलों की काउंसलिंग फैमिली कोर्ट में चल रही है. इस तरह के कई मामले फैमिली कोर्ट में पेंडिंग भी है.