भोपाल। राजधानी में ऑक्सीजन की कमी (Lack of oxygen) के चलते 24 घंटे में 6 कोरोना मरीजों की मौत हो चुकी है. एक निजी अस्पताल प्रबंधन (Private hospital management) ने खुद इस बात को माना है कि ऑक्सीजन की पर्याप्त सप्लाई नहीं हो रही है. राज्य सरकार (state government) कितने भी दावे करे, लेकिन जमीनी हकीकत इन दावों की पोल खोल देती है. हाॅस्पिटल प्रबंधन ने सरकार से मांग की है कि ऑक्सीजन की सप्लाई (Oxygen supply) जल्द बढ़ाएं, नहीं तो हालात काबू से बाहर हो जाएंगे.
बाजार में बढ़ी 'ओसीएम' की मांग
कोरोना संक्रमित मरीजों की संख्या में लगातार हो रहे इजाफा के कारण राजधानी में ऑक्सीजन सिलेंडरों की कमी (Lack of oxygen cylinders) सामने आ रही है. लोग कोरोना के डर से घरों में भी ऑक्सीजन मशीन रख रहे हैं ताकि ऑक्सीजन लेवल घटने पर काम आ सके. इस हालात में ऑक्सीजन कंसंट्रेटर मशीन (Oxygen concentrator machine) की डिमांड बाजार में बढ़ गई है. ऑक्सीजन सिलेंडरों की कमी को देखते हुए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान (Chief Minister Shivraj Singh Chauhan) ने दो हजार आक्सीजन कंसंट्रेटर मशीन खरीदने जा रही है.
बाजार में 40 से 60 हजार कीमत
ऑक्सीजन कंसंट्रेटर हवा से ऑक्सीजन खींचकर मरीज तक पहुंचाती है. ऑक्सीजन कंसंट्रेटर मशीन की लागत 30 से 35 हजार आती है लेकिन बाजार में यह मशीन इस समय 40 से 60 हजार रुपए की कीमत में मिल रही है. ऑक्सीजन मशीन के विक्रेता गुंजन अरोरा के मुताबिक मार्केट में आक्सीजन कंसंट्रेटर मशीन की डिमांड बढ़ गई है. बाजार में यह उपलब्ध है. उनका कहना है कि पेनिक न बनाते हुए जिनको जरूरत है उनको ही मशीन खरीदना चाहिए.
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इस तरह काम करती ही मशीन
एक कंसंट्रेटर से हर मिनट पांच लीटर मेडीकल ऑक्सीजन बनती है और दो मरीजों के लिए इस्तेमाल की जा सकती है. एक मशीन को लगातार 23 घंटे तक उपयोग में लिया जा सकता है और फिर एक घंटे के रेस्ट के बाद दोबारा यह मशीन आक्सीजन जनरेट कर लेती है. ऑक्सीजन सिंलेडर को बार-बार रिफिल करना और लाना ले जाना पड़ता है लेकिन इसमें बार-बार रिफिल करने की जरूरत नहीं पड़ती है. इसमें दो फिल्टर्स लगे होते है, जिनके जरिए वातावरण से मशीन ऑक्सीजन जनरेट कर लेती है.
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