भोपाल।दीपावली पर मिट्टी के दीये जलाने की परंपरा है. 14 साल के वनवास के बाद भगवान श्री राम के अयोध्या वापसी पर दीये जलाए गए थे. दीपावली के दिन ही मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम अयोध्या वापस आए थे. इसी परंपरा को मानते हुए पूरे भारत में दीपावली पर मिट्टी के दीये जलाए जाते हैं. अगर इन दीये में भगवान राम के चरणों की रज भी मिली हो तो सोने पर सुहागा है.
मध्यप्रदेश हस्तशिल्प हाथकरघा सजी कुम्हारों की मेहनत ये परिवार से बरसों से निभा रहा परंपरा :छतरपुर के प्रजापति समाज में बरसों से ये परंपरा है. इस समाज के लोग गणपति के आगमन के साथ दिवाली की तैयारियां शुरू कर देते हैं. खास बात ये है कि उनके बनाए दीये में ओरछा की मिट्टी यूं डाली जाती है जैसे घर की शुध्दि के लिए गंगाजल. ओरछा की मिट्टी भले छटांक भर ही मिलाएं लेकिन प्रजापति समाज इसे मिलाता जरूर है. प्रजापति समाज के राजकुमार बताते हैं परिवार में ये बरसों की परंपरा है. हम ओरछा की मिट्टी मिलाने के बाद ही दीए चाक पर रखते हैं. हमारे हर दिए में भगवान राम के चरणों की रज है.
ओरछा की मिट्टी से दीए तैयार करने की परंपरा Diwali 2022: कैसे करें मां लक्ष्मी को प्रसन्न, जानें पूजा विधि, मुहूर्त और सही समय
ओरछा की माटी से बने दीये का आकर्षण :भोपाल में मध्यप्रदेश हस्तशिल्प हाथकरघा विकास निगम के आयोजन दीपोत्सव में ओरछा की माटी से बने ये दीये खास आकर्षण का केंद्र हैं. निगम से जुड़े एमएल शर्मा कहते हैं दीये तो लोग लगाएंगे ही दिवाली पर लेकिन भगवान राम की रज से बने दीये से अगर देहरी रोशन हो तो इससे बेहतर क्या होगा. हस्तशिल्प हाथकरघा विकास निगम ऐसे ही शिल्पकारों को अवसर देता है. शर्मा कहते हैं कि ये दो रुपए का दीया जो आप अपने घर ले जाकर जलाएंगे, इस दीये से प्रजापति समाज के छह सदस्यों का परिवार रोशन होगा. इसलिए मिट्टी की कुम्हार के हाथों से बने दीये से रोशन करें अपनी दिवाली. (Special deep on deepawali) (Deep made Soil of Orchha) (Lord Rama feet Raj lamps) (Deepotsav MP Handicraft in Bhopal)