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कोरोना वायरस: नेगेटिव रिपोर्ट आने पर दी जा रही सीटी स्कैन की सलाह

कोरोना वायरस के लक्षण दिखने के बाद भी रिपोर्ट नेगेटिव आने पर कई लोगों को डॉक्टरों द्वारा सीटी स्कैन की सलाह दी जा रही है. वहीं निजी लैब इसका फायदा न उठा पाएं इसके लिए स्वास्थ्य विभाग में एक टेक्निकल टीम का गठन किया गया है.

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नेगेटिव रिपोर्ट आने पर दी जा रही सीटी स्कैन की सलाह

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Published : Aug 28, 2020, 6:23 PM IST

Updated : Aug 31, 2020, 5:11 PM IST

भोपाल। कोरोना वायरस को लेकर पूरी दुनिया में रिसर्च की जा रही है. इस महामारी को शुरू हुए करीब 9 महीने हो गए हैं. कोरोना की जांच के बाद कई लोग ऐसे पाए गए जिनमें कोरोना संक्रमण के लक्षण नहीं थे, लेकिन रिपोर्ट पॉजिटिव पाई गई. कोरोना वायरस संक्रमण का पता लगाने के लिए अभी तक कुछ गिने-चुने ही टेस्ट के तरीके अपनाए जा रहे हैं, जिनमें भी कई मामलों में गड़बड़ी देखने को मिल रही है. विशेषज्ञ डॉक्टर भी कई मामलों में संक्रमण का ठीक से पता नहीं लगा पाते हैं. इसी के चलते संक्रमण के बारे में सुनिश्चित करने के लिए मरीजों को सीटी स्कैन कराने की सलाह दी जाती है.

नेगेटिव रिपोर्ट आने पर दी जा रही सीटी स्कैन की सलाह

क्यों कराया जाता है सीटी स्कैन ?

आम तौर पर डॉक्टर किसी कोविड नेगेटिव व्यक्ति को कब सीटी स्कैन की सलाह देते हैं. इस बारे में विशेषज्ञ डॉक्टर पराग शर्मा ने बताया कि कई बार ऐसा देखा गया है कि सैंपल लेने के तरीके में खामी आ जाने की वजह से व्यक्ति की जांच रिपोर्ट नेगेटिव आती है. ऐसी स्थिति में सुनिश्चित करने के लिए सीटी स्कैन कराया जाता है. सीटी स्कैन से संक्रमण की स्थिति के बारे में सटीक जानकारी मिल जाती है. इससे यह पता चल जाता है कि कोरोना वायरस ने फेफड़ों को अब तक कितना नुकसान पहुंचाया है. हम ऐसे मरीजों का सीटी स्कैन कराते हैं, जिनमें कोरोना वायरस के लक्षण ज्यादा दिख रहे हो और जो बुजुर्ग है. इसके साथ ही ऐसे व्यक्ति जिन्हें डायबिटीज, दिल की बीमारी या अन्य कोई बड़ी बीमारी है. उनका भी जल्द से जल्द सीटी स्कैन करवाना जरूरी होता है. ताकि संक्रमण के बारे में ठीक से जानकारी मिल सके.

इन अस्पतालों में सीटी स्कैन की सुविधा

सामान्यतः सीटी स्कैन की व्यवस्था सरकारी अस्पतालों में है. राजधानी भोपाल के हमीदिया अस्पताल, जिला अस्पताल, एम्स भोपाल और बीएमएचआरसी में सीटी स्कैन की व्यवस्था है, लेकिन जिन लोगों को सरकारी अस्पताल में सीटी स्कैन नहीं करवाना है, वह निजी लैब में जाकर करवाते हैं. महामारी के इस काल में अवसर खोजने वाले कुछ निजी लैब लोगों की मजबूरी का फायदा उठाकर उनसे ज्यादा फीस न वसूलें, इसके लिए मध्यप्रदेश स्वास्थ्य विभाग की ओर से लगातार निगरानी रखी जा रही है. हालांकि, निजी लैब्स में किस टेस्ट के लिए कितनी फीस ली जाएगी, इसके लिए कोई प्रोटोकॉल निर्धारित नहीं किया गया है.

निजी लैब पर स्वास्थ्य विभाग रखेगा निगरानी

स्वास्थ्य विभाग की ओर से निजी लैब्स पर किस तरह की निगरानी रखी जा रही है. इस बारे में राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन की मिशन डायरेक्टर छवि भारद्वाज ने बताया कि निजी लैब्स में टेस्ट के लिए कितनी फीस ली जाए, इसके लिए राज्य शासन या स्वास्थ्य विभाग की ओर से कोई दिशा-निर्देश नहीं दिए गए हैं. लेकिन यदि कोई व्यक्ति इस तरह की शिकायत लेकर आता है कि उससे किसी भी टेस्ट के लिए ज्यादा फीस ली गई है, तो उसके लिए विभाग में एक टेक्निकल टीम का गठन किया गया है. जो मामले की जांच कर जरूरी कार्रवाई करेगी.

लक्षण के आधार पर रेकमेंडेशन

बता दें कि कोविड-19 टेस्ट के समय कई बार सैंपल ठीक से ना लिए जाने की वजह से उसे रिजेक्ट कर दिया जाता है. ऐसी स्थिति में संक्रमण का पता लगाने के लिए सीटी स्कैन अब तक का सबसे सही तरीका माना गया है. सीटी स्कैन वह तरीका है, जिससे कि व्यक्ति के फेफड़ों के बारे में सटीक जानकारी मिल पाती है. सिटी स्कैन से फेफड़ों में हुए छोटे से छोटे बदलाव को भी पकड़ा जा सकता है. इसीलिए डॉक्टर कोरोना वायरस के ऐसे मामलों में सीटी स्कैन की सलाह दे रहे हैं, जिनमें लक्षण ज्यादा दिखाई दे रहे हों.

Last Updated : Aug 31, 2020, 5:11 PM IST

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