भोपाल।राजधानी में कोरोना कर्फ्यू के चलते 18 से 44 वर्ष के लोगों का टीकाकरण चालू हो गया है. भोपाल के 45 निजी व शासकीय स्कूलों में इस टीकाकरण की व्यवस्था की गई है. कोविन ऐप (CoWin App) के माध्यम से पंजीयन कराकर स्लॉट बुक करके लोग टीकाकरण के लिए टीकाकरण केंद्रों पर पहुंच रहे हैं. इसमें एक बड़ी समस्या सामने आ रही है. वह यह है कि यदि पिनकोड के माध्यम से स्लॉट बुक करने का प्रयास करने पर यह तत्काल स्लॉट भर जाते हैं. ऐसे में लोगों को अपने घरों के करीब बनाए गए टीकाकरण केंद्रों को लाभ नहीं नहीं मिल पा रहा है. दूसरी समस्या पुलिस को हो रही है, क्योंकि ऐसे में शहर में काफी लोग हैं, जो टीकाकरण के लिये घरों से बाहर निकले हुए हैं. उनको बार बार रोक कर पूछना पड़ रहा है.
टीकाकरण के लिए लोग हो रहे परेशान. पिन कोड के आधार पर नहीं मिल रहा सेंटर
राजधानी में एक और प्रशासन कोरोना कर्फ्यू का सख्ती से पालन कराने की बात कह रहा है. वहीं कुछ हद तक इसके प्रयास भी किया जा रहा है. परंतु ऐसे में एक दूसरी समस्या प्रशासन के सामने आ रही है, वह है टीकाकरण केंद्रों पर जाने वाले लोग. दरअसल, जब कोई भी व्यक्ति कोविन ऐप पर 18 से 44 वर्ष की आयु का टीका लगवाने के लिए रजिस्ट्रेशन करा रहा है, तो उसका रजिस्ट्रेशन उसके पिनकोड के आधार पर उसके क्षेत्र में न होकर दूसरी कहीं अन्य लोकेशन पर उसे भेज रहा है.
टीकाकरण के लिए भटक रहे लोग
भोपाल में 45 टीकाकरण सेंटर बनाए गए हैं, पर वह टीकाकरण सेंटर पर उस क्षेत्र को लोगों को स्लॉट नहीं मिल रहे हैं. बल्कि दूसरे क्षेत्रों के स्कूलों में लोगों को स्लॉट दिए जा रहे हैं. ऐसे में टीकाकरण कराने वाले लोग पूरे भोपाल में यहां से वहां घूम रहे हैं. जिसकी वहज से लोगों के साथ-साथ चेकिंग प्वाइंट पर काम कर रहे पुलिस कर्मियों को भी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है.ऐसे में टीकाकरण के लिये आते जाने दोनों ओर से पुलिस पूछताछ कर रही है.
स्लॉट फुल बता रहा कोविन ऐप
भोपाल के गोविंदपुरा क्षेत्र में रहने वाले विश्वनाथ मुखर्जी को भोपाल के कटारा क्षेत्र में सेंट फ्रांसिस स्कूल में टीकाकरण केंद्र आवंटित किया गया. जबकि उनके घर के पास दो जगहों पर टीकाकरण किया जा रहा है. रास्ते में पुलिस वाले भी बार-बार पूछताछ कर रहे हैं. उन्होंने बताया कि उनके एक मित्र को बैरसिया में टीकाकरण के लिये स्लॉट मिला है, जो कि उनके घर से लगभग 55 से 60 किलोमीटर दूरी पर है. ऐसे में उनको टीकाकरण के लिये लगभग 120 किलोमीटर का सफर तय करना पड़ेगा. उन्होंने बताया कि पिन कोड के आधार पर बुकिंग करने पर स्लॉट फुल बताता है. ऐसे में प्राइवेट हॉस्पिटल में भी टीका नहीं लग रहा है.
सेंटर नजदीक फिर भी दूर मिल रहा सेंटर
वहीं भोपाल के साकेत नगर में रहने वाली 21 साल की अनुष्का तिवारी ने जब अपने टीकाकरण के लिये स्लॉट बुक करने का प्रयास किया तो काफी प्रयासों के बाद अनुष्का को टीकाकरण के लिये स्लॉट मिला. चित्रांश विद्या निकेतन स्कूल नजीराबाद जो कि भोपाल से बैरसिया व बैरसिया से भी आगे है. लगभग 65 किलोमीटर से भी ज्यादा की दूरी पर है. ऐसे में अनुष्का यदि वहां जाकर टीकाकरण करवाना चाहें तो उन्हें लगभग 130 किलोमीटर का सफर तय करना होगा. चूंकि अनुष्का एक कॉलेज स्टूडेंट हैं और खुद भी वाहन का प्रयोग करती हैं. उन्होंने सिस्टम से सवाल किया कि कोरोना कर्फ्यू में जब वो घर से निकलेंगी और इतनी दूर का सफर करेंगी तो पुलिस उन्हें दस जगह पर रोकेगी. घर से बाहर जाने का कारण उन्हें हर जगह पर बताना होगा. अनुष्का का यह सवाल बिल्कुल जायज है कि क्या मामा जी (मुख्यमंत्री) अनुष्का के टीकाकरण के लिये इतनी दूर इन हालात में आने-जाने के लिये वाहन सुविधा उपलब्ध करांएगे.
वैक्सीनेशन का संदेश देने के लिए डॉक्टर बने भगवान हनुमान
ऐसे में सवाल यह उठता है कि जहां प्रशासन लोगों से घरों में रहने की उम्मीद कर रहा है. वहां टीकाकरण कराने के लिए हजारों लोग रोड पर यहां से वहां भटक रहे हैं. जब व्यक्ति अपना पिन कोड आपको बता रहा है तो उसे उसके क्षेत्र में ही टीकाकरण की व्यवस्था क्यों नहीं उपलब्ध कराई जा रही है. ऐसे में 45 या 55 स्थान चिह्नित करने का क्या फायदा हो रहा है.