भोपाल|राजधानी में कोरोना वायरस के चलते अब तक जितनी भी मौतें हुई हैं, उनमें ज्यादातर मरीज गैस पीड़ित हैं. इसकी वजह से सरकार की परेशानी भी बढ़ गई है. क्योंकि सभी गैस पीड़ित पुराने शहर में रहते हैं और इस क्षेत्र में संक्रमण तेजी से बढ़ता जा रहा है. यही वजह है कि, अब प्रशासन ने इस क्षेत्र में विशेष जांच अभियान शुरू करने का निर्णय लिया है. इसको लेकर भोपाल कलेक्टर ने एक बैठक बुलाई थी. जिसमे गैस पीड़ित संगठनों के साथ ही सभी अधिकारियों को भी बुलाया गया था.
गैस पीड़ितों को कोरोना से है अधिक खतरा, प्रभावित क्षेत्रों में सभी की होगी स्क्रीनिंग - Investigation of samples of gas victims
भोपाल में कोरोना वायरस का सबसे अधिक खतरा गैस पीड़ितों को है. कलेक्टर ने सभी गैस पीड़तों की स्क्रीनिंग कराने के निर्देश दिए हैं. इसके लिए अलग से अस्पताल भी अधिकृत किए गए हैं.
इस दौरान कलेक्टर तरुण पिथोड़े ने गैस पीड़ितों और 60 साल से अधिक उम्र के व्यक्तियों के लिए सभी गैस राहत अस्पतालों में स्क्रीनिंग करने के निर्देश जारी किए हैं. उन्होंने कहा कि, गैस पीड़ितों को कोरोना संक्रमण का सबसे अधिक खतरा है, क्योंकि उनका इम्यून सिस्टम कमजोर है. जिसके चलते वे किसी ना किसी बीमारी से पीड़ित हैं. इसके लिए जरूरी है कि, ऐसे सभी व्यक्तियों को स्क्रीनिंग कराई जाये.
कलेक्टर ने निर्देश दिए है कि, सर्दी, खांसी, बुखार के मरीजों की सैंपलिंग हो. इसके लिए सभी के गैस राहत अस्पतालों को इसके लिए अधिकृत किया गया है. इन सभी गैस पीड़ितों का डेटा बी.एच.एम.आर.सी और राष्ट्रीय पर्यावरण स्वास्थ संस्थान उपलब्ध कराएगा. इसके साथ ही सभी गैस राहत हॉस्पिटल में ओपीडी सेवा भी शुरू करने के निर्देश दिए गए है . पल्मनरी हॉस्पिटल गिन्नौरी को गैस पीड़ित लोगों के कोविड सेंटर के रूप में रखने के लिए भी निर्देश जारी किए जा रहे हैं. वहीं भोपाल मेमोरियल रिसर्च अस्पताल को केवल गैस पीड़ितों के सैंपल की जांच करने के लिए लिखा जा रहा है.