भोपाल। चीन के वुहान से फैले कोरोना वायरस को पूरा एक साल हो गया है. भारत में इसके मामले फरवरी-मार्च 2020 से आना शुरू हो गए थे. दुनियाभर में लोग कोरोना की वैक्सीन का इंतजार कर रहे हैं. यह अनुमान लगाया जा रहा है, कि साल 2021 की शुरुआत में मार्च महीने तक वैक्सीन आ जाएगी.
दुनिया के बड़े-बड़े देशों में इसे लेकर रिसर्च जारी है. रशिया ने अगस्त महीने में ही स्पुतनिक-5 वैक्सीन लॉन्च कर दी थी. लेकिन इसके तीसरे फेज ट्रायल के परिणाम न होने पर इसे विश्वसनीय नहीं माना गया. अन्य कई वैक्सीनों का ट्रायल भी लगातार जारी है. वहीं अगर भारत में 4 वैक्सीन बनाई जा रही है. वैक्सीन बनने के बाद उसका सही तरीके से वितरण जरूरी है. जिसे लेकर केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने काम करना शुरू कर दिया है, और सभी प्रदेशों को जरूरी व्यवस्थाएं करने के निर्देश दिए हैं. मध्य प्रदेश में वैक्सीन वितरण सिस्टम पहले से ही काफी मजबूत है. जिसे और मजबूत करने की ओर काम किया जा रहा है. जिसके लिए eVIN का इस्तेमाल किया जाएगा.
क्या है eVIN ?
eVIN यानी (Electronic Vaccine Intelligence Network) इलेक्ट्रॉनिक वैक्सीन इंटेलिजेंस नेटवर्क, एक ऐसा तकनीकी सिस्टम है जिसका मकसद टीकाकरण सप्लाई चेन सिस्टम को मजबूत करना है. इसका लक्ष्य कोल्ड स्टोरेज चेन पॉइंट पर वैक्सीन के भंडारण, बाजार में उपलब्धता और स्टोरेज तापमान पर रियल टाइम जानकारी देना है. यह टीकों के स्टॉक और स्टोरेज तापमान की रियल टाइम निगरानी करने के लिए एक आईटी अवसंरचना और प्रशिक्षित मानव संसाधन को आपस में जोड़ता है. इस ऐप की मदद से भारत के स्वास्थ्य केंद्रों में हर समय टीके की उपलब्धता होने की संभावना बढ़कर 99 प्रतिशत तक हो गई है.
eVIN और कोल्ड स्टोरेज
किसी भी वैक्सीन का भंडारण 2℃ से 8℃ तापमान में किया जाता है. इसके लिए कोल्ड स्टोरेज का होना बहुत जरूरी है. जहां वैक्सीन को सुरक्षित तरीके से स्टोर किया जा सके. eVIN नेटवर्क से मिले ताजा आंकड़ों के मुताबिक प्रदेश में इस समय 1,127 कोल्ड स्टोरेज बने हुए हैं, और इसी का इस्तेमाल कोरोना वायरस वैक्सीन के भंडारण के लिए किया जाएगा. भारत में कोल्ड स्टोरेज के मामले में गुजरात और राजस्थान के बाद मध्य प्रदेश तीसरे नंबर पर आता है.
कोरोना वैक्सीन वितरण की तैयारी