भोपाल।मध्य प्रदेश में तमाम विभागों में पिछले कई सालों से संविदा नियुक्ति का प्रचलन चलन में रहा है. विधिवत चयन प्रक्रिया के द्वारा चयनित हुए इन संविदा कर्मचारी, अधिकारी के नियमितीकरण का मामला कई दिनों से उलझा हुआ है. कई विभागों के कर्मचारियों को तो 15 से 20 साल संविदा सेवाएं देते हुए बीत चुका है. लेकिन इन कर्मचारियों को आज तक नियमित नहीं किया गया है.
सरकार के अलग-अलग विभागों में ढाई लाख से ज्यादा संविदा कर्मचारी कार्यरत हैं. 2018 के चुनाव के वक्त कांग्रेस सरकार ने संविदा कर्मचारियों के नियमितीकरण का वादा किया था और सरकार बनने के बाद एक कमेटी भी इसके लिए गठित की थी. लेकिन कमेटी जब तक सिफारिशें देती, तब तक सरकार चली गई. अब संविदा कर्मचारियों की उम्मीद शिवराज सरकार पर टिकी हैं. लेकिन मौजूदा आर्थिक हालातों को देखकर संविदा कर्मचारियों के नियमितीकरण की उम्मीद दूर की कौड़ी नजर आ रही है.
स्किल्ड हैं आज के संविदाकर्मी
मध्य प्रदेश संविदा अधिकारी कर्मचारी महासंघ ने सड़कों पर उतरकर प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के संज्ञान में यह बात लाई है. महासंघ की माने को प्रदेश में वर्तमान में सबसे योग्य कर्मचारी संविदा कर्मचारी हैं. इनको कंप्यूटर का ज्ञान है, इनको तकनीक का भी ज्ञान है, इसलिए इनको नियमित किया जाना चाहिए. लेकिन बड़े दुर्भाग्य का विषय है कि पिछले 20 सालों में कई सरकारें आई और गई, लेकिन संविदा कर्मचारियों का नियमितीकरण नहीं हो पाया है.
तमाम प्रयासों के बाद भी सफल नहीं हुआ मंथन
जन अभियान परिषद, गुरुजी, पंचायत कर्मी, शिक्षा कर्मियों की नियुक्ति पिछले दरवाजे से की गई थी, लेकिन उनको नियमित कर दिया गया. वहीं दूसरी तरफ विधिवत चयन प्रक्रिया के माध्यम से योग्यताधारी संविदा कर्मचारी, जो नियमित कर्मचारी से ज्यादा योग्यता रखते हैं. उनको नियमित नहीं किया गया है. इससे प्रदेश के संविदा कर्मचारियों में नाराजगी है. किसी ने कमेटी बनाई, किसी ने समिति बनाई है लेकिन अभी तक संविदा कर्मचारियों का नियमितीकरण नहीं हो पाया है.