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नगरीय निकाय-पंचायत चुनाव में नई पीढ़ी पर दांव लगाएगी कांग्रेस! - एमपी में नगरीय निकाय चुनाव

मध्यप्रदेश विधानसभा उपचुनाव में मिली हार के बाद कांग्रेस नगरीय निकाय व पंचायत चुनाव में नई पीढ़ी पर दांव लगाने की तैयारी कर रही है, ताकि जमीन पर बीजेपी का मजबूती से मुकाबला कर सके और कांग्रेस के पंजे की पकड़ को जमीनी स्तर पर और मजबूत कर सके.

digvijaya singh
दिग्विजय सिंह

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Published : Dec 2, 2020, 5:53 PM IST

भोपाल। मध्यप्रदेश में विधानसभा के उपचुनाव में मिली हार के बाद कांग्रेस नगरीय निकाय और पंचायत चुनाव की तैयारी में जुट गई है. पार्टी इन चुनावों में नए चेहरों और नई पीढ़ी पर दांव लगाने का मन बना रही है, ताकि संगठन को भी मजबूत किया जा सके. राज्य में उप-चुनाव में मिली हार की बड़ी वजह संगठन की कमजोरी को माना जा रहा है और यही कारण है कि पार्टी निचले स्तर पर मजबूती के लिए रणनीति बना रही है. उसके लिए इस मजबूती का आधार नगरीय निकाय और पंचायत के चुनाव बन सकते हैं.

पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह भी यह बात कह चुके हैं कि नई कांग्रेस का निर्माण कैसे किया जाए, इस पर विचार किया जा रहा है. जरूरी है, इसके लिए नए लोगों को मौका दिया जाए. नगर पालिका और नगर पंचायत के चुनाव आने वाले हैं और इन चुनावों में नई पीढ़ी को मौका दिया जाए. दिग्विजय सिंह के इस बयान के बड़े मायने निकाले जा रहे हैं और माना जा रहा है कि कांग्रेस खुद को बदलना चाहती है और युवा पीढ़ी को आगे लाने की तैयारी में है. ऐसा करके संगठन को मजबूत किया जा सकेगा और भाजपा के खिलाफ लड़ाई लड़ी जा सकेगी.

वहीं दूसरी ओर कुछ लोगों का मानना है कि इस रणनीति के पीछे बुजुर्गों को कांग्रेस की सियासत से दूर करने की भी योजना है. पार्टी सूत्रों का कहना है कि कांग्रेस ने नगरीय निकाय और पंचायत चुनाव की तैयारी शुरू कर दी है, इसके लिए निचले स्तर के कार्यकर्ताओं और संगठन के पदाधिकारियों से संवाद किए जाने के साथ साथ उनसे जमीनी हालात की रिपोर्ट भी मंगाई जा रही है.

राजनीतिक विश्लेषक शिव अनुराग पटेरिया का कहना है कि कांग्रेस का विरोधी दल यानि कि भाजपा परिवर्तन के दौर से गुजर रही है, लेकिन भाजपा और कांग्रेस के वर्ग चरित्र में बड़ा अंतर है. कांग्रेस ने अगर अपने नेताओं को खोया तो वह कहीं की भी नहीं रहेगी, यह बात कांग्रेस के राज्यसभा सांसद विवेक तन्खा ने भी कही है. तन्खा ने कहा कि कमलनाथ, दिग्विजय सिंह और सुरेश पचौरी के बगैर कांग्रेस की कल्पना नहीं की जा सकती, इसका आशय है कि कांग्रेस के अंदर भी पीढ़ी परिवर्तन को लेकर द्वंद्व चल रहा है, पीढ़ी परिवर्तन हो या न हो या दोनों में संतुलन बनाकर रखा जाए.

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