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राज्यसभा चुनाव: कांग्रेस ने बीजेपी उम्मीदवारों के नामांकन को बताया अवैध, कोर्ट में देगी चुनौती - एमपी में राज्यसभा चुनाव

एमपी में राज्यसभा चुनाव के लिए बीजेपी के दोनों उम्मीदवारों ने नामांकन भर दिए, लेकिन कांग्रेस ने दोनों के नामांकन को लेकर सवाल उठाते हुए आरोप लगाया है कि जन प्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 के तहत ये नामांकन त्रुटिपूर्ण हैं, दोनों की उम्मीदवारी रद कराने के लिए कांग्रेस न्यायालय की शरण में जाएगी.

Rajya Sabha election in M.P.
एमपी में राज्यसभा चुनाव

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Published : Jun 3, 2020, 4:26 PM IST

Updated : Jun 3, 2020, 6:00 PM IST

भोपाल।एमपी में राज्यसभा चुनाव में बीजेपी के दोनों उम्मीदवारों, ज्योतिरादित्य सिंधिया और प्रोफेसर सुमेर सिंह सोलंकी के नामांकन को लेकर कांग्रेस ने सवाल उठाए हैं. कांग्रेस का आरोप है कि दोनों के नामांकन जन प्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 के तहत त्रुटिपूर्ण हैं. उनकी उम्मीदवारी रद करवाने के लिए न्यायालय की शरण ली जाएगी.

कांग्रेस के लीगल सेल के प्रमुख राज्यसभा सांसद विवेक तंखा ने ट्वीट करके जानकारी दी है. हालांकि इस मामले में राज्यसभा चुनाव के नामांकन के समय कांग्रेस ने आपत्ति दर्ज कराई थी. लेकिन राज्यसभा चुनाव के रिटर्निंग ऑफिसर विधानसभा के प्रमुख सचिव एपी सिंह ने कांग्रेस की आपत्ति खारिज कर दी थी. अब विवेक तंखा ने ट्वीट कर न्यायालय की शरण में जाने की जानकारी दी है.

मामले में एमपी कांग्रेस के प्रवक्ता अजय सिंह यादव का कहना है कि, 'राज्यसभा चुनाव में भाजपा के दोनों नेताओं की उम्मीदवारी को न्यायालय में चुनौती दी जाएगी. जिस तरह से भाजपा के राज्यसभा उम्मीदवार ज्योतिरादित्य सिंधिया के नामांकन पत्र के साथ एफआईआर की जानकारी छुपाई गई, उनका नामांकन रद होना चाहिए था'.

इस मामले में सुप्रीम कोर्ट का निर्णय भी है. महाराष्ट्र के पूर्व सीएम देवेंद्र फडणवीस ने 2014 के चुनाव में अपनी एफआईआर की जानकारी छुपाई थी और जब इस मामले को लेकर कोर्ट में याचिका लगाई गई, तो उन्होंने न्यायालय में मामला समाप्त करने के लिए याचिका दायर की थी. लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने उस याचिका को खारिज कर दिया और जनप्रतिनिधित्व अधिनियम का उल्लंघन माना. इसलिए उसी आधार पर ज्योतिरादित्य सिंधिया का नामांकन रद होना चाहिए.

एमपी कांग्रेस के प्रवक्ता अजय सिंह यादव

कांग्रेस का कहना है कि, इसी तरह सुमेर सिंह सोलंकी ने 12 मार्च को नामांकन भरा, लेकिन शासकीय सेवा से उनका त्यागपत्र 13 मार्च को स्वीकार हुआ. जिस दिन उन्होंने नामांकन भरा, उस दिन वो शासकीय सेवक थे, इसलिए जनप्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 के तहत उनका नामांकन रद होना चाहिए.

Last Updated : Jun 3, 2020, 6:00 PM IST

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