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मजदूरों की घर वापसी पर एमपी में सियासत तेज, कांग्रेस ने शिवराज सरकार पर उठाए सवाल - Congress's KK Mishra targeted BJP

लॉकडाउन के चलते मध्यप्रदेश के मजदूरों की दूसरे राज्यों से घर वापसी कराई जा रही है. इस मामले में सरकार के दावों पर एमपी कांग्रेस ने सवाल खड़े किए हैं. जिसे बीजेपी ने निराधार बताया है. पढ़िए पूरी खबर...

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भोपाल

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Published : May 13, 2020, 11:11 PM IST

भोपाल। मजदूरों की घर वापसी पर मध्यप्रदेश में सियासी घमासान शुरू हो चुका है. सरकार के दावों पर कांग्रेस सवाल खड़े कर रही. मध्यप्रदेश कांग्रेस ने सरकार के उस दावे पर सवाल खड़े कि हैं, जिसमें कहा गया कि मध्यप्रदेश में अब तक 1.90 लाख मजदूरों को घर वापस लाया जा चुका है.

मजदूरों की घर वापसी पर एमपी में सियासत तेज

मप्र कांग्रेस के पूर्व प्रवक्ता और एआईसीसी सदस्य के.के मिश्रा ने सरकार की तरफ से पेश किए गए आंकड़ों को लेकर कहा है कि आधारहीन और अविश्वस्त आंकड़े परोसकर सरकार महाझूठ बोल रही है. केके मिश्रा ने कहा कि शिवराज सरकार 1.90 लाख मजदूरों को लाने का दावा कर रही है, उन्होंने सवाल खड़ा किया है कि क्या कोई बताएगा कि मजदूरों लाने में कितने, कौन-कौन से वाहन लगे, लॉकडाउन का पालन करते हुए उन्हें कैसे बैठाया गया, उनके भोजन,नाश्ते की व्यवस्था किसने और कहां की गई. कितनों का क्वॉरेंटाइन हुआ, किन्हें कहां छोड़ा गया?

के.के मिश्रा ने कहा है कि "ईश्वर की आंखें यह सब देख रही हैं." यदि यह दावा सतही तौर पर पूरा हो गया होता तो आज पूरे प्रदेश की प्रवेश सीमाओं से भूखे,प्यासे, छाले पड़ चुके नंगे पैरों से अपनी पत्नी, बच्चों के साथ भारी धूप में सैकड़ों हजारों किमी अपने गंतव्य के लिए कूच कर रहे दर्दीले काफिले दिखाई नहीं देते?

केके मिश्रा ने कहा कि इंदौर में लॉकडाउन की वजह से अपने घर नहीं जा पा रहे एक छात्र ने तनाव में फांसी लगा ली है. सरकार अपनी असफलता के अवैध स्मारक को बचाने के लिए वास्तविक तथ्यों को छिपा रही है. कम से कम इस मानवीय त्रासदी में तो गरीब,गरीबी, इंसान और इंसानियत से खिलवाड़ बंद कीजिए.

कांग्रेस के आरोपों पर बीजेपी प्रवक्ता रजनीश अग्रवाल ने पलटवार किया और सभी आरोपी को निराधार बताया. रजनीश अग्रवाल का कहना है कि अक्ल के अंधे नाम नयनसुख नहीं अब कांग्रेसी हो चुका है. इनको जब स्पष्ट ट्रेनों की संख्या बसों की संख्या पता है, गांव में लौट रहे सजीव प्राणी के तौर पर मजदूर नजर आ रहे हैं तो यह बैठे-बैठे क्या करें, करना है, इसलिए इस तरह की बातें कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि आज हम अपने मजदूरों को ट्रेनों से बसों से उनके गांव की ओर लौटा रहे हैं,उनको राशन दे रहे हैं.

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