भोपाल।खरीफ की फसल के लिए जरूरी खाद की व्यवस्था को शिवराज सरकार ने बदल दिया है. खरीफ के लिए 55 % खाद किसानों को सरकार की सहकारी समितियों से मिलेगी और 45 % खाद निजी क्षेत्र के जरिए बेची जाएगी. पहले कमलनाथ सरकार ने सरकारी व्यवस्था 80% और निजी क्षेत्र के लिए 20% की व्यवस्था की थी. शिवराज सरकार ने कमलनाथ सरकार के फैसले को बदल दिया है. कांग्रेस ने फैसले का विरोध करते हुए कहा है कि इस फैसले से मुनाफाखोरी और कालाबाजारी बढ़ेगी.
मध्य प्रदेश कांग्रेस के मीडिया विभाग के उपाध्यक्ष भूपेंद्र गुप्ता ने मध्य प्रदेश सरकार के खाद बिक्री फार्मूले को बदलने के फैसले की आलोचना की है. उन्होंने कहा कि निजी क्षेत्र को 45% खाद वितरण के अधिकार देने से कालाबाजारी और मुनाफाखोरी को बढ़ावा मिलेगा और किसान फसल के पहले से ही मुनाफाखोरी की चपेट में आ जायेगा.
गौरतलब है कि कमलनाथ सरकार ने 80% खाद का वितरण सहकारी समितियों के माध्यम से तथा 20% निजी व्यापारियों के माध्यम से विक्रय का फार्मूला रखा था. इससे किसानों को उनकी अधिकांश जरूरतों का खाद सहकारी समिति से मिल जाता था और उन्हें नगद खरीदी नहीं करनी पड़ती थी. पूर्व सरकार के इस निर्णय को बदलकर सरकार ने मुनाफाखोरी एवं कालाबाजारी को बढ़ावा दे दिया है. अब निजी व्यापारी ना केवल ऊंचे दाम पर किसानों को खाद बेचेंगे बल्कि उनकी मजबूरियों का बेवजह फायदा उठाएंगे.
भूपेंद्र गुप्ता ने कहा कि पिछले साल भी कमलनाथ सरकार ने 18 लाख मीट्रिक टन यूरिया की मांग की थी, जिसे केंद्र सरकार ने बहुत दिनों तक लटकाया था. इस वर्ष भी खरीफ में लगभग 25 लाख मीट्रिक टन खाद की आवश्यकता होगी, जिसकी अग्रिम तैयारी शिवराज सरकार को करनी चाहिए. किसानों को शोषण से बचाने के लिए उन्होंने मांग की है कि सरकार तत्काल कमलनाथ सरकार के खाद बिक्री फार्मूले को लागू करे अन्यथा कांग्रेस इसका विरोध प्रदेश स्तर पर हर मंडी क्षेत्र में करेगी.