भोपाल। चार दशक से कांग्रेस की राजनीति में सक्रिय मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ को मैनेजमेंट का खिलाड़ी कहा जाता है. उनके प्रबंधन और प्लानिंग की चर्चा राजनीतिक गलियारों में कई सालों से चल रही है. मध्यप्रदेश में भी कांग्रेस की 15 साल बाद वापसी के पीछे 2018 में कमलनाथ के प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष बनने के बाद उनके प्रबंधन को ही माना जाता है. वहीं मध्यप्रदेश में हो रहे उपचुनाव को लेकर कमलनाथ के मैनेजमेंट की चर्चा फिर चारों तरफ हो रही है.
कमलनाथ के मैनेजमेंट के मुरीद हुए कांग्रेसी मीडिया सलाहकार ने की कमलनाथ की तारीफ
करीब चार दशक के लंबे सियासी सफर के दौरान कमलनाथ मध्यप्रदेश के हर पहलू से वाकिफ हैं. नौ बार सांसद और केंद्रीय कैबिनेट में शामिल रहने के कारण कमलनाथ ने पार्टी नेताओं और कार्यकर्ताओं में मजबूत पकड़ बनाई है और 2018 में बीजेपी को सत्ता से बेदखल करने वाले कमलनाथ का चुनावी मैनेजमेंट सबने देखा है. यही कारण है कि पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ के मीडिया सलाहकार के तौर पर वरिष्ठ पत्रकार पंकज शर्मा ने कमलनाथ के उप चुनाव प्रबंधन की तारीफ की और कांग्रेस को सलाह दी है कि 2024 के चुनाव में अगर ऐसा ही प्रबंधन किया जाए,तो भाजपा दूर-दूर तक नजर नहीं आएगी, हालांकि उनके इस ट्वीट पर सियासत भी जमकर हो रही है, लेकिन राजनीति के जानकार भी कमलनाथ की प्लानिंग और प्रबंधन की तारीफ करते हुए नहीं थकते हैं.
उपचुनाव में दिखेंगे कमलनाथ के मैनेजमेट के परिणाम
वहीं कांग्रेस के प्रवक्ता जितेंद्र मिश्रा का कहना है कि जिस तरीके से कमलनाथ की सक्रियता है. जिस तरह से कमलनाथ का प्रबंधन है उस पर अगर विचार करें तो जिस दिन से कमलनाथ सरकार गई है कमलनाथ घर नहीं बैठे हैं. कमलनाथ लगातार जनता के संपर्क में हैं और जनता से संवाद बनाए हैं. कमलनाथ के प्रबंधन का कोई सानी नहीं है. मध्यप्रदेश में कमलनाथ ने सब को एकजुट कर जो लड़ाई लड़ी है वह आने वाले समय में परिणाम दिखाई देंगे. कांग्रेस मध्यप्रदेश में बड़ी संख्या में सीटे जीतने जा रही है.
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'सोनिया गांधी से बेहतर राष्ट्रीय अध्यक्ष हो सकते हैं कमलनाथ'
वहीं भाजपा नेता हितेश वाजपेई ने इस मामले में तंज कस है. उनका कहना है कि पंकज शर्मा कमलनाथ के मीडिया सलाहकार हैं, उन्होंने सलाह दी है कि कमलनाथ से बेहतर प्रबंधन देश में कोई नहीं कर सकता है. स्पष्ट रूप से कहा है कि देश भर में इस तरह का प्रबंधन राहुल गांधी, सोनिया गांधी और प्रियंका गांधी सीख जाएं, तो सीटें बढ़ जाएंगी. इसका मतलब यह है कि राहुल और सोनिया गांधी से बेहतर राष्ट्रीय अध्यक्ष कमलनाथ को हो सकते हैं, क्योंकि यहां से तो 10 नवंबर को उनका बोरिया बिस्तर बंधने वाला है, तो 10 नवंबर के बाद कमलनाथ क्या करेंगे ? इसलिए उनके लिए अभी से पिचिंग शुरू की गई है कि उन्हें वहां राष्ट्रीय अध्यक्ष बना दिया जाए.
पॉलिटिकल एक्सपर्ट की राय
वरिष्ठ पत्रकार दीपक तिवारी का कहना है कि कमलनाथ भारतीय राजनीति के उन नेताओं में से एक है,जिनके पास राजनीति का दीर्घकालीन अनुभव है. लगभग 40 सालों तक वे सांसद रहे हैं. इसके अलावा कांग्रेस के महासचिव और कई राज्यों के प्रभारी रहे हैं, तो स्वाभाविक है कि उनका चुनाव का अनुभव लड़ने और लगवाने का पुख्ता है. जहां तक बात बीजेपी के सामने कमलनाथ का अनुभव की है तो 2018 के चुनाव में बीजेपी के 160 विधायकों की गिनती को 107 पर लाकर खड़ा कर दिया था. लिहाजा कमलनाथ प्लानिंग और प्रबंधन के मास्टर हैं. मध्यप्रदेश की छिंदवाड़ा लोकसभा सीट से लगातार नौ बार सांसद होने का रिकॉर्ड कमलनाथ के नाम है. उन्हें लोकसभा के अति वरिष्ठ सांसदों में शुमार होने का गौरव प्राप्त है. लिहाजा कमलनाथ के राजनीतिक अनुभव और चुनावी मैनेजमेंट के साथ संगठन पर पकड़ का हर कोई मुरीद है.
कब-कब सांसद रहे कमलनाथ...
1980- सांतवीं लोकसभा के सदस्य निर्वाचित हुए.
1985- आठवीं लोकसभा के सदस्य निर्वाचित हुए.
1989- नौवीं लोकसभा के सदस्य निर्वाचित हुए.
1991- दसवीं लोकसभा के सदस्य निर्वाचित हुए.
1998- बारहवीं लोकसभा के सदस्य निर्वाचित हुए.
2004- चौदवहीं लोकसभा के सदस्य निर्वाचित हुए.
2009- पंद्रहवीं लोकसभा के सदस्य निर्वाचित हुए.
2014- सोलहवीं लोकसभा के सदस्य निर्वाचित हुए.
केंद्रीय मंत्री के तौर पर कमलनाथ का ऐसा रहा सफर
1991-1995: केंद्रीय राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) पर्यावरण और वन
1995-1996: केंद्रीय राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) वस्त्र
2004-2009: केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री
2009-2011: केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री
2011-2014: केंद्रीय शहरी विकास मंत्री
2012-2014: केंद्रीय संसदीय कार्य मंत्री
2001-2004: भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के महासचिव
4-6 जून 2014: लोक सभा के सामयिक अध्यक्ष
कमलनाथ का इस्तीफा, बीजेपी कार्यकर्ताओं में जश्न का माहौल
आपको बता दें कि कांग्रेस के दिग्गज नेता कमलनाथ 17 दिसंबर 2018 को मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री बने थे. उनका मुख्यमंत्री पद का सफर सिर्फ एक साल तीन महीने और चार दिन ही चल सका. अब कमलनाथ प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष हैं और नेता प्रतिपक्ष भी वही हैं.